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आपराधिक प्रवृत्ति के लोग किस कदर बेखौफ

स.सम्पादक शिवाकान्त पाठक 

हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों पर कब लगेगी रोक.

अपराधियों के खात्मा करने का शोर मचाने वाली सरकार की सक्रियता और उसके मातहतों की ड्यूटी का आलम…!

गत दिनों उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले में एक तेरह वर्षीय बच्ची से बलात्कार और उसकी हत्या की जैसी घटना एक बार फिर सामने आई है, उससे फिर यही साफ हुआ है कि राज्य में आपराधिक प्रवृत्ति के लोग किस कदर बेखौफ हो चुके हैं। लखीमपुर में ईसानगर थाना क्षेत्र के पकरिया गांव में शुक्रवार दोपहर से ही बच्ची लापता थी। बाद में उसका शव एक खेत में फेंका हुआ मिला। उसके परिवार का आरोप है कि बच्ची का शव जब मिला तो उसकी आंखें बाहर निकली हुई थीं और जुबान कटी हुई थी। हालांकि फिलहाल पोस्टमार्टम में बलात्कार की पुष्टि हुई है।

यह घटना यह बताने के लिए काफी है कि राज्य में कानून-व्यवस्था और उसे लागू करने वाली एजेंसियों के कामकाज और उसके असर का क्या आलम है! आखिर अपराधियों के भीतर यह हिम्मत कहां से आई कि उन्होंने भरी दोपहरी में बच्ची को गायब कर दिया और उसके खिलाफ इतने वीभत्स अपराध को अंजाम दिया! अब एक रिवायत की तरह पुलिस की ओर से जांच और गिरफ्तार दो आरोपियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई की औपचारिकता पूरी की जाएगी और शायद फिर किसी अगली घटना के होने का इंतजार किया जाएगा!
पिछले कुछ सालों से उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रचार इसी बात का हुआ है कि राज्य में अपराध का खात्मा करने के लिए सरकार ने बेहद सख्त कदम उठाए हैं, पुलिस को खुली छूट दी है और यहां तक कि मुठभेड़ों में बहुत सारे अपराधियों को मार गिराया गया है। लेकिन हकीकत किसी से छिपी नहीं है कि आज भी हत्या और बलात्कार जैसे अपराधों के मामले में उत्तर प्रदेश की हालत क्या है! एक तरफ सरकार दावा और प्रचार करती है कि उसने बड़े अपराधियों को भी गिरफ्तार करके या उन्हें मुठभेड़ में मार कर अपराधों पर नियंत्रण हासिल किया है, दूसरी ओर छोटे अपराधी भी किसी बच्ची का अपहरण कर लेते हैं और बर्बर तरीके से बलात्कार और हत्या की घटना को अंजाम देते हैं।

गौरतलब है कि बच्ची का परिवार पूर्णबंदी लागू होने के बाद काम के अभाव में गांव लौट गया था और वहीं अपने अभाव के हालात में जिंदा रहने के लिए जूझ रहा था। लेकिन किसी परिवार के अभाव और त्रासद दुख से संवेदनहीन आपराधिक तत्त्वों का क्या वास्ता हो सकता है! अगर कहीं इंसानियत के मूल्य उनके भीतर होते ही तो व किसी बच्ची को बर्बर हवस का शिकार क्यों बनाते! उधर गोरखपुर में भी एक सत्रह वर्षीय नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार की घटना सामने आई है। उसे सिगरेट से दागा भी गया।

अपराधियों के खात्मा करने का शोर मचाने वाली सरकार की सक्रियता और उसके मातहतों की ड्यूटी का आलम यह है कि हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों की तो दूर, वह छोटे-छोटे अपराधों तक पर काबू नहीं पा सकी है। भाजपा ने विधानसभा चुनावों में अपने पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए कठघरे में सबसे ज्यादा समाजवादी पार्टी के राज के दौरान अराजकता और अपराधों को ही सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था। लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद राज और समाज, दोनों स्तर पर ही लोगों को भारी निराशा हुई है, हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों को रोक पाना भी मुमकिन नहीं हो पाया है। खासतौर पर महिलाओं के खिलाफ अपराधों में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। अपराध पर लगाम लगाने के तमाम सरकारी आश्वासन के बावजूद राज्य में अपराधी बेखौफ हैं। क्या इसी भरोसे के साथ राज्य सरकार सबसे बेहतर प्रशासन देने का दावा कर रही है?

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