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आतंकियों में विवाद के बाद क्या टूट जाएगा तालिबान?

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में हाल ही में तालिबान की नई सरकार का गठन हुआ है. लेकिन एक हफ्ते के अंदर ही उसके टॉप नेताओं में विवाद छिड़ गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान का सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और एक कैबिनेट सदस्य के बीच राष्ट्रपति भवन में जोरदार बहस हुई. जिसके बाद बरादर के गायब होने की खबरें आईं.

तालिबान के एक सूत्र ने बताया कि बरादर और खलील उर-रहमान हक्कानीशरणार्थियों के मंत्री और आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क के एक प्रमुख नेताके बीच तीखी बहस हुई क्योंकि उनके आतंकी एक-दूसरे के साथ विवाद कर रहे थे. इस बीच बरादर ने काबुल छोड़ दिया है और विवाद के बाद कंधार शहर भाग गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कतर में स्थित तालिबान के एक वरिष्ठ सदस्य और इसमें शामिल लोगों से जुड़े एक शख्स ने भी पुष्टि की है कि पिछले हफ्ते दोनों के बीच बहस हुई थी. सूत्रों ने कहा कि बहस इसलिए भी हुई क्योंकि नए उप-प्रधानमंत्री बरादर अपनी सरकार से नाखुश हैं. ये विवाद इस बात से बड़ा हुआ है कि तालिबान में से किसे अफगानिस्तान में जीत का श्रेय लेना चाहिए.

मुल्ला बरादर कथित तौर पर मानता है कि कूटनीति पर जोर दिया जाना चाहिए, जबकि हक्कानी समूह के आतंकी और उनके समर्थकों का कहना है कि जीत लड़ाई के माध्यम से हासिल की गई थी. हक्कानी नेटवर्क के नेता सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान की नई सरकार में गृह मंत्री हैं.

गौरतलब है कि तालिबान के सुप्रीम कमांडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा को लेकर भी अटकलें बनी हुई हैं, जिन्हें कभी सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया. वो तालिबान के राजनीतिक, सैन्य और धार्मिक मामलों के प्रभारी हैं.

 

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