आतंकियों के सामने घुटने टेकने पर इमरान को कोर्ट ने लगाई फटकार

इस्लामाबाद: सेना द्वारा संचालित एक स्कूल पर 2014 में आतंकी हमले से जुड़े मामले की हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की जमकर खिंचाई हुई. अदालत ने इमरान से पूछा कि वह करीब 150 लोगों के नरसंहार के दोषियों के साथ बातचीत क्यों कर रहे हैं. मृतकों में ज्यादातर छात्र थे.
अदालत ने सरकार को उस भीषण हमले में सिक्योरिटी फेल्योर की जिम्मेदारी तय करने के लिए एक महीने का समय दिया है जिसमें 16 दिसंबर, 2014 को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकवादियों ने पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला कर 147 लोगों की जान ले ली थी. मृतकों में 132 बच्चे थे. पाकिस्तान के चीफ जस्टिस गुलजार अहमद की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इमरान खान को तलब किया था. पीठ में जस्टिस काजी मोहम्मद अमीन अहमद और जस्टिस इजाजुल अहसन भी शामिल हैं.
इस हमले की जांच एक विशेष आयोग ने की थी. विशेष आयोग की रिपोर्ट पिछले हफ्ते अदालत में पेश की गई थी. आयोग ने कहा था कि हमले के लिए सिक्योरिटी फेल्योर जिम्मेदार था. पीठ ने इस संबंध में की गई कार्रवाई के बारे में इमरान खान से सवाल किये. कोर्ट ने इमरान से कहा कि स्कूल पर हमले में अपने बच्चों को खोने वाले अभिभावकों की संतुष्टि आवश्यक है. पीठ ने सिक्योरिटी फेल्योर के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय टीटीपी के साथ बातचीत करने के लिए भी सरकार को आड़े हाथों लिया. जस्टिस अमीन ने इमरान से कहा, ‘अगर सरकार इन बच्चों के हत्यारों के साथ हार के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने जा रही थी, तो क्या हम एक बार फिर आत्मसमर्पण करने जा रहे हैं?’
चीफ जस्टिस अहमद ने इमरान से कहा, ‘आप सत्ता में हैं. सरकार भी आपकी है. आपने क्या किया? आप दोषियों को बातचीत की मेज पर ले आए.’ इमरान ने अपने जवाब में कहा कि हमले के समय उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी खैबर-पख्तूनख्वा में शासन में थी और यह केवल मुआवजा मुहैया करा सकती थी जो उसने पीड़ितों के परिवारों को आर्थिक सहायता देकर किया था. इमरान खां के इस जवाब से नाराज चीफ जस्टिस अहमद ने टिप्पणी की कि प्रधानमंत्री पीड़ितों के घावों पर नमक छिड़क रहे हैं. ‘अभिभावक पूछ रहे हैं कि (उस दिन) सुरक्षा व्यवस्था कहां थी? हमारे व्यापक आदेशों के बावजूद, कुछ भी नहीं किया गया.’
इसके बाद, इमरान खान ने कहा कि अगर अदालत कहती है तो उनकी सरकार किसी के भी खिलाफ कार्रवाई करेगी. उन्होंने कहा, ‘कोई भी पवित्र गाय नहीं है और अदालत के आदेश के परिदृश्य में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.’ सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने सुनवाई के बाद मीडियाकर्मियों को बताया कि अदालत ने उन लोगों के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की है जिनकी हमले को रोकने की नैतिक जिम्मेदारी थी, लेकिन वे ऐसा करने में विफल रहे. उन्होंने कहा कि सरकार निर्देशों का पालन करेगी.