अंतराष्ट्रीय

आज के दिन छपी 45 पन्नों की वो किताब!

ठीक 145 साल पहले आज ही के दिन यानि 10 जनवरी 1776 को एक ऐसी किताब अमेरिका में प्रकाशित हुई, जो क्रांतिकारी किताब बन गई. ये थी तो केवल 47 पेजों की लेकिन देखते ही देखते ये धड़ाधड़ बिकने लगी. इतनी तेज कि उस समय इसकी मांग को पूरा करना मुश्किल हो गया. तब ना तो आज की तरह आवागमन के बेहतर साधन थे. ना मार्केटिंग के फंडे और ना ही बेहतर प्रिंटिग तकनीक वाली मशीनें.

इस किताब का नाम था कॉमन सेंस. इसके लेखक थे पॉलिटिकल एक्टिविस्ट थामस पेन, जो उन दिनों अमेरिका के कई अखबारों में कॉलम लिखते थे. अगले कुछ महीनों में केवल अमेरिका में इसकी 05 लाख से ज्यादा कापियां बिक गईं. आज भी ये किताब दुनियाभर में बेस्ट सेलिंग किताबों में है. तमाम भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है. इस किताब ने अगर लोकतांत्रिक सरकार की अवधारणा को बदला तो लिखित संविधान की जरूरत को समझाया लेकिन इस किताब में इससे कहीं ज्यादा भी कुछ था, जिसने इसे सीधे लोगों के दिलों और जुनून से जोड़ा.

उस समय अमेरिका क्रांति के लिए तैयार था. ग्रेट ब्रिटेन का उपनिवेश था उन दिनों अमेरिका. किताब आते ही हलचल शुरू हुई. फिर हर किसी ने इस पर चर्चा शुरू की. तमाम सभाओं और मीटिंग्स में लोगों के हाथों में ये किताब दिखने लगी. इसके अंश लोगों को सुनाए जाने लगे. दरअसल इस किताब ने बात की मानव समाज को कैसी आजादी चाहिए. उसने ये भी बात की कि ग्रेट ब्रिटेन के औपनिवेशक देशों में कैसी आजादी की जरूरत है. उन्होंने एक तरह से अमेरिका में क्रांति के माहौल पर और बारूद डाला. अमेरिका में महान क्रांति की ये किताब वाहक बनी.

इस किताब ने पहली बार ये बात की कि हमें ऐसा देश और सरकार चाहिए जो किसी से मतभेद नहीं करे, जो समानतावादी हो, आमलोगों का निष्पक्ष तरीके से प्रतिनिधित्व करे. वो सर्वधर्मसंभाव पर जोर दे. यानि उसने एक ऐसे विचार को बहुत तेजी से जन्म दिया, जहां समाज में हर कोई बराबर होगा, सभी के मूलभूत अधिकार बराबर होने चाहिए. अगर हम मानव हैं तो ना केवल बराबर हैं बल्कि आजाद भी.

किताब कॉमन सेंस के बाजार में आते ही उसे पढ़कर लोगों में सनसनी मच गई. किताब का नाम कॉमन सेंस इसलिए रखा गया, क्योंकि ये लोगों में कॉमन सेंस जगाती थी. हालांकि इस किताब को उत्तेजक भी कहा गया लेकिन ये लोकप्रिय पंफलेट जरूर थी. इस किताब के प्रकाशन के बाद ही अमेरिका में महान क्रांति हुई और नए युग का आगाज हुआ. अमेरिका की आजादी में इस किताब की बड़ी भूमिका थी.

केवल अमेरिकी क्रांति ही नहीं बल्कि उसके बाद फ्रांसीसी क्रांति और दुनियाभऱ की तमाम क्रांतियों में इस किताब का असर नजर आया. इस किताब को महान किताब माना जाता है. ऐसी किताब जिसका असर 145 सालों में दुनिया में बदलावों के बाद भी आज तक खत्म नहीं हुआ. क्योंकि ये किताब जिस ओर ध्यान खींचती है, वो सारी असमानताएं बहुत हद तक अब भी दुनिया के बहुत से देशों में किसी ना किसी तौर पर आज भी बनी हुई हैं.

इस किताब के लेखक थामस पेन का जन्म ग्रेट ब्रिटेन में हुआ. फिर वह अमेरिका चले गए. वहां वह पॉलिटिकल एक्टिविस्ट और लेखक बन गए. उन्हें राजनीतिक सिद्धांतकार, क्रांतिकारी और मार्गदर्शक भी माना गया. उन्होंने इसके अलावा एक किताब और भी लिखी. 72 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. लेकिन “कॉमन सेंस” ने उन्हें हमेशा के लिए अमर कर दिया

 

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