अंतराष्ट्रीय

आखिर क्यों चीन से कोई देश नहीं कर रहा रक्षा डील ?

बीते कुछ सालों से अमेरिका, रूस, जर्मनी और चीन में हथियारों के निर्माण और निर्यात की होड़ लगी हुई थी. शीत युद्ध के बाद से हथियारों का आयात और निर्यात दोनों ही सबसे ऊंचाई पर है. इसमें अमेरिका टॉप पर है, जो दुनियाभर के देशों में हथियार निर्यात में लगभग 37 फीसदी भागीदारी रखता है. वहीं चीन अब नीचे आता जा रहा है. कोरोना के लिए चीन को जिम्मेदार मानते हुए बहुत से देश उससे हथियार खरीदने को लेकर कन्नी काट रहे हैं.

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चीन के हथियार खरीदने वाले देश बच रहे हैं. चीन का निर्यात तेजी से घटने के पीछे उसकी आक्रामकता एक वजह है. बता दें कि पिछले कुछ समय से चीन लगातार अपने पड़ोसी देशों की सीमाएं हथियाने की फिराक में रहा. इंडोनेशिया, मलेशिया और वियतनाम के साथ वो अपने संबंध बिगाड़ चुका. अब वो इन देशों को हथियार समेत लड़ाकू विमान बेचना चाहता है लेकिन तनाव के चलते कोई राजी नहीं.

इधर भारत वैसे भी चीन से हथियार नहीं खरीदता था. अब वो भी आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत बहुत से रक्षा उपकरण खुद बना रहा है. यही कारण है कि साल 2016-20 के बीच भारत के हथियारों के आयात में 33 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.

अब चीन के पास बचे यूरोपीय देश तो वे कोरोना के फैलने को लेकर चीन से काफी भड़के हुए हैं. दरअसल अमेरिका समेत कई देश मानते हैं कि चीन की लापरवाही के कारण ही कोरोना दुनिया में फैला. बल्कि अमेरिका तो ये तक कहता है कि चीन ने जानकर वायरस फैलाया ताकि दुनिया की इकोनॉमी चरमरा जाए. ऐसे में अमेरिका के मित्र देश भी चीन से हथियार खरीदने से बच रहे हैं. फॉरेन पॉलिसी की एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है.

इस तरह से देखा जाए तो बड़े देशों के अलावा अब छोटे देश भी चीन से हथियार आयात से कतरा रहे हैं. तो चीन के पास ले-देकर एक देश बाकी है- पाकिस्तान. इस्लामाबाद ने बीते पांच सालों में जितने हथियार आयात किए हैं, उनमें 74% हिस्सेदारी चीन की है. ये साल 2015 तक 61% थी. पाकिस्तान के अलावा बांग्लादेश और अल्जीरिया भी चीन से हथियार आयात करते रहे. ये बात सिपरी ने बताई है.
इसके लिए उसकी विदेश नीति जिम्मेदार है. कोई देश, किसी दूसरे देश से रक्षा उपकरणों से लिए संपर्क करता है तो उसका मतलब केवल उपकरणों की खरीदी तक सीमित नहीं रहता, बल्कि ये एक तरह से मित्रता का हाथ है. अगर किन्हीं दो देशों के बीच बढ़िया रक्षा डील है तो माना जाता है कि उन देशों के संबंध बेहतर हैं. लेकिन चीन की विदेश नीति संबंध बनाने पर यकीन करती नहीं दिखती. वो सीमाओं को लेकर लगातार आक्रामक होता रहा. यहां तक कि जब दुनिया कोरोना से तबाही झेल रही थी, तब भी उसने मदद की खास कोशिश नहीं की. ऐसे में देश अब उससे काफी बचते दिख रहे हैं.

इसके अलावा केवल निर्यात ही नहीं होता, बल्कि बदले में देश को दूसरे देश से कुछ खरीदना भी होता है. लेकिन चीन सबसे बड़ा हथियार बाजार बनने के फेर में केवल हथियार बनाता जा रहा है और खरीदने की उसे कोई जरूरत नहीं रही. यही कारण है कि हथियारों की उसकी डील प्रभावित होती दिख रही है.

चीन वैसे हथियारों के निर्यातक देशों में पांचवें नंबर पर है. उसके पहले अमेरिका, रूस, फ्रांस और जर्मनी आते हैं. इजरायल और दक्षिण कोरिया ने भी सैन्य उपकरणों में बढ़त ली लेकिन फिलहाल वे निर्यात के हिसाब से काफी छोटे स्तर पर हैं.

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