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आंचलिक बोलियों को सहेजने की जरुरत : टेकचंदानी

भोपाल। भाषाओं के महत्व पर आयोजित वेबीनार में दिल्ली विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष डा रवि टेकचंदानी ने आंचलिक बोलियों को सहेजने पर जोर दिया है। मध्य प्रदेश से इस वेबीनार में हिस्सा लेने वाले राज्य के जनसंपर्क अधिकारी अशोक मनवानी ने बताया कि डा टेकचंदानी ने भाषाओं का महत्व बताते हुए कहा कि हर व्यक्ति के लिए सिर्फ एक भाषा को जानना पर्याप्त नहीं है। आज आवश्यकता है हम बहुभाषी बने। एक से अधिक भाषाओं को जानना ज्ञान के संसार में विचरण करने का महत्वपूर्ण कार्य है। इसके साथ ही आंचलिक बोलियों को भी सहेजना है। इससे हिंदी शक्तिमान होगी, समर्थ बनेगी। डा टेकचंदानी ने बताया कि दिल्ली के डॉ मुरलीधर जेटले अनेक भाषाएं जानते हैं। ऐसा ही कार्य डॉ एनएच सामतानी ने भी किया। भाषाओं की विविधता हमारे देश की विशेषता है और हमारी धरोहर भी। प्रत्येक व्यक्ति मातृभाषा, राष्ट्रभाषा और आंग्ल भाषा में दक्ष होकर व्यक्तित्व विकास के साथ ही राष्ट्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस वेबीनार में में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर , प्रो आरके सिंह, रंजीता सचदेव आदि ने हिस्सा लिया।

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