अयोध्या में बाबरी विध्वंस की बरसी पर खास हलचल नहीं
अयोध्या. 6 दिसंबर 1992 को हुए बाबरी विध्वंस को लेकर हर बार की तरह इस बार भी ‘शौर्य दिवस’ और ‘यौमे गम’ मनाया गया। दोनों आयोजनों में करीब हजार से डेढ़ हजार लोग जुटे। हालांकि, इनमें कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आया। सिर्फ रस्म अदायगी ही देखने को मिली। किसी ने देश के सभी राजनैतिक पार्टियों के मुस्लिम नेताओं, धार्मिक उलेमाओं को अयोध्या आने की दावत दी थी तो कोई सोशल साइट के जरिये लोगों को अयोध्या बुलाना चाहता था। इस कारण यहां धारा 144 लगा दी गई थी। फ्लैग मार्च किया गया। हालांकि, स्थानीय लोगों को यह तकलीफ भरा रहा। क्योंकि सरगर्मियों के बीच उनकी रोजी-रोटी के लाले पड़ जाते हैं।
‘कोई सबूत दे तो छोड़ने को तैयार’
‘शौर्य दिवस’ मनाने वालों ने सोशल मीडिया के जरिये और संगठन से जुड़े लोगों को अयोध्या बुलाया। इस मामले में बाबरी मस्जिद के पैरोकार हाशिम अंसारी का कहना है, ‘अगर कोई सबूत है कि बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाया है तो मैं अभी छोड़ने को तैयार हूं। हमने हमेशा शांति का काम किया है।’
‘बाहर बाबरी मस्जिद चिल्लाने वालों को न्योता’
इस मामले में बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब ने कहा, ”अभी तक कोई ‘शौर्य दिवस’ मनाता है तो हमलोग गम का इजहार करते हैं। हम अल्ला पाक से दुआ करते हैं कि हमारी मस्जिद तामीर कराए। इस बार हमने सभी पार्टी के मुस्लिम नेताओं को अयोध्या आने का लिखित न्योता भेजा। जो बाहर बाबरी मस्जिद चिल्लाते हैं तो मैं देखना चाहता हूं कि कौन-कौन आता है।”
इन नेताओं को बुलाया
हाजी महबूब ने कहा कि इसमें मौलाना शाही इमाम बुखारी, असदुद्दीन ओबैसी, आजम खान, मुख्तार अब्बास नकवी, शाहनवाज हुसैन, नसीमुद्दीन सिद्दकी, एम.जे. अकबर, साहिद सिद्दकी, फारुख अब्दुल्ला, मौलाना कल्बे जव्वाद, कल्वे सादिक शामिल हैं। इनसे चर्चा होनी है कि जिस तरह विहिप कार्यक्रम कर रही है तो हमारा जवाब क्या होगा? अगर फैसला हमारे हक में आता है तो कैसे मस्जिद तामीर होगी? हमारे खिलाफ आता है तो हमारी क्या प्रतिक्रया होगी?
‘हम मंदिर के लिए कटिबद्ध’
राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास का कहना है कि अभी तक हमारे पास ऐसा कोई व्यक्ति नहीं आया जिसने 6 दिसंबर को विशेष कार्यक्रम की पहल की हो या बताया हो या हमसे कोई चर्चा भी की हो। विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा का कहना है कि यह एक परंपरागत कार्यक्रम है। इसे करने के लिए हम कटिबद्ध हैं। 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ध्वस्त हुआ तब से निरंतर बजरंग दल और हिंदू संगठन के नेताओं द्वारा यह कार्यक्रम होता है। सोशल मीडिया और अखबारों के जरिये लोगों को मंदिर निर्माण के लिए जागरूक करना चाहते हैं। उन्हें सभी तथ्यों से अवगत कराना चाहते हैं।