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अभिशप्त बुंदेलखंड की प्यास बुझेगी !!!!

शायद बदनसीबी से बुंदेलखंड का अब पीछा छूट सकेगा। सरयू नहर परियोजना के एक लंबे अंतराल के पूरा होने के बाद अब केन-बेतवा परियोजना के दिन बहुरने वाले हैं। सरयू नहर परियोजना से जहां प्रदेश के उत्तराखंड और नेपाल की तराई से लगते क्षेत्र की भूमि सिंचित होगी, वहीं केन-बेतवा नहर उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड ही नहीं, मध्य प्रदेश से लगते क्षेत्र का भी भाग्य संवारेगी। केन-बेतवा लिंक परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी के बाद इसके परवान चढ़ने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इस राष्ट्रीय परियोजना से बुंदेलखंड क्षेत्र में न केवल पीने के पानी की कमी पूरी होगी, बल्कि खेती के लिए भी भरपूर जल मिलेगा।

लखनऊ नगर निगम ने बजट न होने का रोना रोकर गांवों के विकास से खड़ा किया हाथ।
जल संकट बुंदेलखंड क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या रही है। हालात इतने बदतर हैं कि लोग यहां बेटी का विवाह करना भी पसंद नहीं करते थे। खेती करना भी घाटे का सौदा थी। पलायन यहां की वार्षिक विभीषिका बन गया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस समस्या के निदान के लिए केन और बेतवा को जोड़ कर पानी की किल्लत वाले और असिंचित क्षेत्र को खुशहाल बनाने की योजना बनाई थी। उल्लेखनीय है कि 22 मार्च, 2021 को देश में नदियों को आपस में जोड़ने की पहली प्रमुख केंद्रीय परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री तथा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। अटल जी की मंशा थी कि नदियों को आपस में जोड़कर पानी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकेगा, जहां प्राय: सूखा पड़ता है और जिन इलाकों में पानी की भारी कमी है, वहां इस योजना के शुरू हो जाने के बाद पानी की किल्लत नहीं रहेगी। 45 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना से गर्मी के दिनों में सूखे की मार ङोलने के लिए अभिशप्त बुंदेलखंड की प्यास बुझेगी। परियोजना पूरी होने के बाद बुंदेलखंड में सूखा महज किस्सा रह जाएगा। साल भर बुंदेलों को पेयजल मिलेगा और सिंचाई की समुचित व्यवस्था होने से फसलें भी लहलहाएंगी। इस परियोजना से मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन तथा उत्तर प्रदेश के बांदा, जालौन, महोबा, हमीरपुर, चित्रकूटधाम, झांसी और ललितपुर को बहुत लाभ होगा। इस परियोजना की आधारशिला करीब 15 वर्ष पहले रखी गई थी। लेकिन पिछली सरकारों की लापरवाही के चलते परियोजना अब तक खटाई में पड़ी रही और बुंदेलखंड पानी के लिए लगातार बेहाल होता रहा। गर्मी के दिनों में बुंदेलखंड क्षेत्र में हालात इस कदर नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं कि पानी के लिए जगह-जगह धरना-प्रदर्शन आम बात है। प्रशासन यहां प्यासे कंठ की तृष्णा शांत करने के लिए टैंकरों का सहारा लेता आया है। विगत वर्ष तो मालगाड़ी के जरिये यहां पानी पहुंचाया गया। यह परियोजना भारत में नदियों को आपस में जोड़ने की अन्य परियोजनाओं का मार्ग भी प्रशस्त करेगी। यह परियोजना शुरू होने के पश्चात वैश्विक पटल पर हमारी बुद्धिमत्ता और दृष्टिकोण भी उजागर होगा। बांदा में केन नहर का पुनरुद्धार और महोबा में कने¨क्टग चैनल यानी तालाबों के पुनरुद्धार पर पांच सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे। परियोजना से उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को 750 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी मिलना है। वियर (नदी पर बनने वाला छोटा बांध) को पूरी क्षमता से भरकर नहरों और तालाबों के माध्यम से पानी खेतों में छोड़ा जाएगा, पेयजल की भी व्यवस्था की जाएगी। 470 किमी लंबी केन नदी बुंदेलखंड की प्रमुख नदी है। महापौर संय़ुक्ता भाटिया ने कहा कि लखनऊ को गार्बेज फ्री सिटी बनाने का है लक्ष्य। यह मध्य प्रदेश में 292, दोनों राज्य (मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश) की सीमाओं पर 51 और उत्तर प्रदेश में करीब 84 किमी बहती है। प्रस्ताव है कि दौधन के पास बांध बनाकर केन नदी का पानी रोका जाएगा। यहां से 221 किमी लंबी नहर के माध्यम से केन बेसिन के 1074 मिलियन क्यूबिक मीटर अतिशेष जल को बेतवा बेसिन में पहुंचाया जाएगा। इसके लिए तीन बांध बेतवा नदी पर बनाए जाएंगे। सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता श्यामजी चौबे कहते हैं कि चित्रकूट धाम मंडल के दो जिले बांदा व महोबा सीधे लाभान्वित होंगे। दोनों जिलों के लिए साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित है। वहीं बांदा के मुख्य विकास अधिकारी डा. हरिचरन का मानना है कि इस परियोजना बुंदेलखंड के लोगों के लिए लाभदायक होगी। इससे सिंचाई और पीने के लिए पानी आसानी से मिलेगा।

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