अब भी सस्पेंस बरकरार,रजिस्ट्रेशन के बाद टीका लगने तारीख नहीं मिली,कब लगेगी पता नहीं ?
नई दिल्ली: बुधवार को देश के लोग जिस चीज का बेसब्री से इंतजार करते रहे वो है ओटीपी. यानी वन टाइम पासवर्ड. बुधवार शाम चार बजे से 18 से 44 वर्ष तक के लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए रजिस्ट्रेशन करना था, और इसके लिए सरकार ने तीन विकल्प दिए थे. पहला Co-Win App, दूसरा आरोग्य सेतु ऐप और तीसरा Umang App.
रजिस्ट्रेशन के लिए जब लोगों ने लॉग-इन किया तो उनके मोबाइल फोन पर एकओटीपी आना था. ओटीपी एक तरह का ऑनलाइन पासवर्ड है, जिसे निर्धारित समय में फीड कर लॉग-इन करना होता है. लेकिन लोग इंतजार करते रह गए पर उनकाओटीपी नहीं आया.
दोपहर 3 बजकर 54 मिनट से ही तीनों ऐप और वेबसाइट्स पर ट्रैफिक बढ़ गया और लाखों लोग रजिस्ट्रेशन कराने के लिए जुट गए. लेकिन वो लॉग-इन नहीं कर सके क्योंकि इन ऐप्स ने काम करना बंद कर दिया. इसके बाद देश मेंओटीपी की चर्चा शुरू हो गई. बहुत से लोग इसे लेकर काफी निराश हुए. हालांकि इन खामियों के बावजूद आज शाम 7 बजे तक करीब 80 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया. हर सेकेंड 55 हजार लोग रजिस्ट्रेशन करने के लिए Cowin App पर लॉग इन कर रहे हैं.
हालांकि आज रजिस्ट्रेशन के बाद लोगों को वैक्सीन लगवाने की तारीख नहीं मिली. बताया जा रहा है कि ये तारीख उन्हें तब बताई जाएगी, जब राज्य सरकार और प्राइवेट अस्पताल लोगों की संख्या के अनुसार शेड्यूल तय कर लेंगे. इसका मतलब ये है कि 1 मई को सबको वैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी, ये सम्भव नहीं है. ये तारीख आगे भी बढ़ सकती है
इस सवाल का जवाब है. इसमें समय लग सकता है. आज आरोग्य सेतु ऐप की तरफ से जानकारी दी गई कि वैक्सीन किस तारीख को लगेगी, इसकी जानकारी तभी दी जाएगी, जब राज्य सरकारें वैक्सीनेशन ड्राइव के लिए तैयार होंगी. यानी कई राज्यों ने तो अभी इसकी तैयारी ही नहीं की है और कुछ राज्य तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने अब तक वैक्सीन का ऑर्डर कंपनियों को नहीं दिया है.
इस विषय पर रिसर्च करने पर हमें पता चला कि फिलहाल कहीं भी ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है कि राज्य सरकारों और कंपनियों के बीच वैक्सीन खरीद की प्रक्रिया कहां तक पहुंची है. बहुत ढूंढने पर हमें सिर्फ पांच राज्यों के नाम पता चले, जिन्होंने वैक्सीन का ऑर्डर दे दिया है. इनमें पहला है ओडिशा, जिसने 3 करोड़ 70 लाख डोज का ऑर्डर दिया है. तमिलनाडु ने डेढ़ करोड़ डोज मांगी हैं. गोवा ने 5 लाख और असम और केरल ने एक-एक करोड़ वैक्सीन के लिए ऑर्डर दे दिया है.
लेकिन बाकी राज्यों की स्थिति अभी साफ नहीं है. यानी 18 साल से ऊपर के लोगों को अभी वैक्सीन लगवाने के लिए इंतजार करना होगा. क्योंकि वैक्सीन आपको तभी लगेगी, जब आपके राज्य की सरकार इसे लेकर अपनी तैयारियां पूरी कर लेगी जो अभी तक नहीं की है.
यहां समझने वाली एक बात ये भी है कि दो कंपनियां अभी वैक्सीन बना रही हैं, एक है सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और दूसरी हैभारत बायोटेक और इन दोनों कंपनियों को वैक्सीन के कुल उत्पादन में से 50 प्रतिशत केंद्र सरकार को देनी है और 50 प्रतिशत राज्य सरकारों और प्राइवेट अस्पतालों को देनी हैं. इसका सरल मतलब ये है कि वैक्सीन की उपलब्धता में अभी और समय लग सकता है. ये भी मुमकिन है कि राज्य सरकारों को धीरे-धीरे वैक्सीन की डोज मिलें. इसलिए आपको अभी धैर्य रखना होगा.राजस्थान ने कह दिया कि वो एक मई से 18 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन नहीं लगा पाएगा. पंजाब और छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि अगर केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल तक उन्हें वैक्सीन दे दी तभी वो 1 मई से वैक्सीनेशन शुरू कर पाएंगी. महाराष्ट्र ने कहा है कि वो एक मई से वैक्सीनेशन के लिए तैयार नहीं है. हालांकि केरल का कहना है वहां एक मई से 18 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी.
आप सोच रहे होंगे कि जब आज से रजिस्ट्रेशन शुरू होना था तो फिर राज्य सरकारों ने तैयारियां क्यों नहीं की? तो इसका जवाब ये है कि हर राज्य की सरकार अब अपने हिसाब से वैक्सीन कंपनियों से डील कर रही हैं. कुछ ने ऑर्डर दे दिए हैं और कुछ सरकारें चाहती हैं कि वैक्सीन की कीमत को कम किया जाए. इनमें राजस्थान, दिल्ली और छत्तीसगढ़ की सरकारें भी हैं.
आज सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने राज्य सरकारों के लिए कोविशील्ड के एक डोज की कीमत 400 रुपए से घटाकर 300 रुपये कर दी है, जबकि प्राइवेट अस्पतालों को ये वैक्सीन पुरानी कीमत यानी 600 रुपये प्रति डोज पर ही मिलेगी.
भारत बायोटेक राज्यों सरकारों को कोवैक्सीन की एक डोज 600 रुपये में देगी और प्राइवेट अस्पतालों के लिए कीमत 1200 रुपये रखी गई है. लेकिन कुछ राज्य सरकारें चाहती हैं, उन्हें भी वैक्सीन की एक डोज 150 रुपये में ही मिले. क्योंकि केंद्र सरकार को इतनी कीमत में ही ये वैक्सीन मिल रही हैं.
वैक्सीन से हमें याद आया कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को अब अक्ल आ गई है. मंगलवार को व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कुछ ऐसा हुआ, जिसकी उम्मीद कम थी. जब जो बाइडेन प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म करके जाने लगे तो उनसे एक पत्रकार ने भारत के संदर्भ में सवाल पूछा. ये सवाल सुनकर जो बाइडेन रुक गए और उन्होंने वापस आ कर कहा कि वो भारत को लेकर इस सवाल का जवाब जरूर देंगे.
यानी जो बाइडेन भारत के संदर्भ में बोलने के लिए बेकरार थे और उन्हें इसी तरह के सवाल का इंतजार था. जो बाइडेन की रणनीति और उनके रुख में ये बदलाव तब आया, जब उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत हुई. इससे पहले तक अमेरिका भारत को वैक्सीन के लिए जरूरी कच्चा माल देने तक के लिए तैयार नहीं था. लेकिन अब वो मदद की बात भी कर रहा है और जो बाइडेन का रुख भी बदला हुआ है. जो बाइडेन ने अपनी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत को लेकर जो बड़ी बात कही वो ये है कि जब अमेरिका मुसीबत में था तो भारत ने मदद की और आज जब भारत मुसीबत में है तो अमेरिका उसके साथ खड़ा है.
अमेरिका के चीफ मेडिकल एडवाइजर डॉ Anthony Fauci ने कहा है कि भारत की मदद के लिए जिस तरह से बड़े देशों को अपनी भूमिका निभानी चाहिए थी, वैसा उन्होंने नहीं किया. जबकि भारत ने कई देशों को वैक्सीन देकर उनकी मदद की. लेकिन बदले में भारत को वैसी मदद किसी भी देश ने नहीं दी. डॉ A के इस बयान ने जो बाइडेन की नीतियों पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लगाए और अब बाइडेन ने अपनी भूमिका बदल ली है.
आज जब वैक्सीन की बात चल रही है तो हम आपको यहां ये बता दें कि अब अमेरिका ने भी ये मान लिया है कि भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोरोना के अलग-अलग 617 वैरिएंट पर असरदार है और ये दुनिया की सबसे अच्छी वैक्सीन में से एक है. ये बात अमेरिका के चीफ मेडिकल एडवाइज़र डॉ एंथनी फाउची ने कही है.
डॉ एंथनी फाउची का कहना है कि हाल ही में अमेरिका में कोविड-19 को लेकर एक डेटा का विश्लेषण किया गया, और इसमें सभी वैक्सीन्स का इम्तिहान लिया गया, जिसमें भारत की मेड इन इंडिया कोवैक्सीन 617 नंबरों के साथ पास हुई. यानी ये वैक्सीन वायरस के 617 वैरिएंट पर असरदार साबित हुई. लेकिन क्या आपको पता है कि आज हमारे देश के वो सभी नेता और राज्य सरकारें इस पर चुप हैं, जिन्होंने इस वैक्सीन पर सवाल उठाए थे.
राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़, जहां कांग्रेस की सरकारें हैं, वहां इस वैक्सीन को खरीदने से मना कर दिया गया था और इसे मंजूंरी देने पर भी सवाल उठाए गए थे. लेकिन आज यही वैक्सीन दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों की वैक्सीन्स को न सिर्फ टक्कर दे रही है, बल्कि उनसे ज्यादा असरदार भी है.