हो सकती है आपकी प्रजनन क्षमता प्रभावित?
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प्रजनन क्षमता :आज के युवक-युवतियां अपने करियर को लेकर इतने आकांक्षी हो गए हैं कि वे शादी-ब्याह करने का फैसला भी देर से लेते हैं. लेकिन, अधिकांश लोग इस सच से अनजान भी हैं कि उनकी बायोलॉजिकल क्लॉक किसी का इंतजार नहीं करती है. देर से शादी करना और फिर 30-35 की उम्र के बाद फैमिली प्लानिंग, कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह की समस्याओं को जन्म देती हैं. ऐसे में प्रजनन क्षमता ?
एक दशक में महिलाओं की प्रजनन दर 21% घटी है, जो चिंताजनक है. अगर हम शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना करें, तो ग्रामीण क्षेत्रों में प्रजनन दर ज्यादा यानी 82% है, जबकि शहरी आबादी में यह काफी कम यानी 60% है. यह भी देखा गया है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं में इनफर्टिलिटी के कारण अलग-अलग हैं. ग्रामीण महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्याएं उनके प्रजनन तंत्र को प्रभावित करने वाले विभिन्न संक्रमणों के कारण होती है, जबकि शहरी महिलाओं में इसका कारण दौड़-भाग वाली जीवनशैली और देर से शादी होना है.
दो वर्षों में 15-20 मिलियन भारतीय इनफर्टिलिटी से प्रभावित हुए हैं. हाल के शोध में पता चलता है कि भारत में 31 वर्ष से ज्यादा आयु के लगभग 40% पुरुष इनफर्टिलिटी से पीड़ित हैं, जो संकेत देता है कि देश में पुरुषों की इनफर्टिलिटी के मामले चिंताजनक तेजी से बढ़ रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी इनफर्टिलिटी की इस दर के लिए मुख्यरूप से सुस्त जीवनशैली, खानपान की अस्वास्थ्यकर आदतों, एलेक्ट्रोमैग्नेटिक रैडिएशन और प्रदूषित पर्यावरण जिम्मेदार हैं. यदि आप गर्भधारण का प्रयास कर रही हैं या भविष्य में ऐसा करना चाहती हैं, तो जोखिम के संभावित कारकों को पहले जान लेना जरूरी है. साथ ही जीवनशैली में कुछ बदलाव करने जैसे स्वास्थ्यकर आहार लेना, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना, स्वस्थ वजन बनाए रखना, बुरी आदतों में नहीं पड़ना आदि से इनफर्टिलिटी की रोकथाम में मदद मिल सकती है.
प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाले कारक
उम्र
प्रजनन क्षमता के मामले में आयु की भूमिका प्रमुख होती है. पुरुष और महिला, दोनों ही 20 साल की आयु के बाद सबसे ज्यादा फर्टाइल होते हैं. 35 की उम्र के बाद महिलाओं की प्रजनन क्षमता तेजी से कम होती है. जब पुरुषों की उम्र बढ़ती है, तब गर्भधारण और स्वस्थ बच्चे की संभावना कम होती है. 40 साल की आयु से पुरुष में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम होने लगता है.
वजन
वजन ज्यादा या कम होने से भी गर्भधारण करने में समस्याएं हो सकती हैं. वजन कम होने से हार्मोन असंतुलित हो सकते हैं, जो महिला और पुरुष दोनों में इनफर्टिलिटी का ज्ञात कारण है.
धूम्रपान और शराब
धूम्रपान से पुरुष और महिला, दोनों को इनफर्टिलिटी होती है. अध्ययनों में भी यह बात साबित हो चुकी है कि जो महिलाएं नियमित रूप से धूम्रपान करती हैं, उन्हें गर्भधारण में अधिक समय लगता है. स्मोकिंग से अंडे की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है. गर्भपात की संभावनाएं बढ़ती हैं. प्रेग्नेंसी के दौरान कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं. धूम्रपान से पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता कम होने के साथ ही संरचना खराब हो सकती है. ज्यादा शराब पीने वाले पुरुषों के शुक्राणु की गुणवत्ता प्रभावित होने के साथ ही स्तंभन दोष हो सकता है.
तनाव
तनाव से हृदय रोग, अस्थमा, मोटापा और डिप्रेशन हो सकता है. इससे गर्भधारण में भी दिक्कत आती है, साथ ही शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता कम हो सकती है, जिसका आशय पुरुष की प्रजनन क्षमता खराब होने से है. स्थायी तनाव से कुछ महिलाओं का अंडोत्सर्ग प्रभावित हो सकता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि तनाव से हाइपोथेलेमस की कार्यात्मकता प्रभावित हो सकती है, जो मस्तिष्क का केन्द्र होता है. यह उन हार्मोंस में से कुछ को नियंत्रित करता है, जो अंडाशयों को हर महीने एग छोड़ने के लिए प्रेरित करते हैं.