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हिंदू लड़कें हिजाब-विवाद ’के विरोध में केसरिया शॉल ओढ़कर स्कूल में दाखिल

बेंगलुरु. कर्नाटक का उडुपी जिला इन दिनों विवाद का केंद्र बना हुआ है. यहां पिछले करीब सवा महीने से मुस्लिम समुदाय की 6 स्कूली लड़कियां विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. वे स्कूल की वर्दीके साथ हिजाब पहनने की अनुमति देने की मांग कर रही हैं. ये विवाद कर्नाटक हाईकोर्ट तक भी पहुंच गया है. वहीं, अब ऐसी खबरें हैं कि इसी जिले के बैंदूर कस्बे में कुछ हिंदू लड़कों को केसरिया शॉल ओढ़कर स्कूल में दाखिल होने के लिए मजबूर किया गया है.

बैंदूर के शासकीय प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में हिंदू संगठनों के कुछ कार्यकर्ताओं ने हिंदू छात्रों को जबरन वर्दी के साथ केसरिया शॉल ओढ़ाई. फिर उन्हें इसी तरह कक्षाओं में बैठने के लिए कहा. हिंदू संगठनों ने अपने इस कृत्य को ‘केसरिया शॉल अभियान’ का एक हिस्सा बताया है. हालांकि संस्थान के प्राचार्य ने मामला बीच में संभाल लिया. उन्होंने समझा-बुझाकर हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं को वापस भेजा. इसके बाद मामला शांत हो सका.

बताया जाता है कि अभी 2 फरवरी को भी कुंडापुर के शासकीय प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के 40 हिंदू लड़के संस्थान की वर्दी के साथ केसरिया शॉल ओढ़कर कक्षाओं में आए थे. उन्होंने कहा था कि वे शिक्षण संस्थान की वर्दी के साथ हिजाब पहनकर आने की जिद कर रहीं मुस्लिम लड़कियों का विरोध कर रहे हैं. उनकी दलील यह भी थी कि अगर उन लड़कियों को वर्दी के साथ हिजाब पहनने की इजाजत दी गई, वे केसरिया शॉल ओढ़कर आएंगे. क्योंकि नियम सबके लिए समान होने चाहिए. इस सिलसिले में ‘हिंदू जागरण वेदिके’ नाम के संगठन ने भी धमकी दी है कि वह पूरे क्षेत्र में ‘केसरिया शॉल अभियान’ चलाएगा. खास तौर पर उन जगहों पर जहां शिक्षण संस्थानों में मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर कक्षाओं में बैठने की अनुमति दी जा रही है.

बताते चलें कि यह विवाद उडुपी के शासकीय प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज से शुरू हुआ था. वहां दिसंबर के आखिरी हफ्ते में 6 मुस्लिम लड़कियां शिक्षण संस्थान की वर्दी के साथ हिजाब पहनकर कक्षाओं में आई थीं. जब उन्हें हिजाब उतारने के लिए कहा गया तो उन्होंने विरोध शुरू कर दिया. इसके बाद से वे रोज संस्थान के समय पर परिसर में आती हैं. वहीं हिजाब पहनकर विरोध प्रदर्शन करती हैं. धरना देती हैं और छुट्‌टी होने पर घर लौट जाती हैं. जबकि कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेशभी उनके इस विरोध-प्रदर्शन और मांग को अनुचित तथा अनुशासनहीनता बता चुके हैं. इसके बावजूद उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्टमें याचिका भी लगा दी है. वहां हिजाब पहनने को धार्मिक आजादी का अपना मूलभूत अधिकार बताते हुए वर्दी के साथ इसे पहनने की मंजूरी मांगी है. हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है.

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