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स्वदेशी रक्षा कवच, मौसम हो या दुश्मन न कर पाएगा जवानों का बाल बांका

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख, उत्तरी सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे हिमालय के ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात होने वाले भारतीय सैनिकों को अब स्वदेशी गर्म कपड़े मिलेंगे. ये एक्सट्रीम वेदर क्लोदिंग सिस्टम न केवल बेहद आरामदेह हैं.

इनका रखरखाव बहुत आसान है. इन खास कपड़ों का वज़न बहुत कम है और इन्हें पहनकर सैनिक अपना काम आसानी से कर पाएंगे. डीआरडीओ ने 28 दिसंबर को इन कपड़ों की तकनीक को 5 स्वदेशी कंपनियों को दे दिया है और वो जल्द इनका उत्पादन शुरू कर देंगी.
इस रक्षा कवच के निर्माण को रक्षा क्षेत्र में देसी यानी मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट की दिशा में अहम कामयाबी माना जा रहा है. अभी तक भारतीय सेनाबहुत ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़े विदेशों से खरीदती थी. इस खास रक्षा कवच वाले कपड़ों को जीरो से 50 डिग्री नीचे के तापमान पर तैनात सैनिकों को इश्यू किया जाता है.

आपको बता दें कि बीते साल मई 2020 में चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में तनाव शुरू होने के बाद भारतीय सेना ने करीब 50,000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती LAC पर की है. ऐसे में इन सभी सैनिकों के लिए 2020 में अमेरिका से खास कपड़े आयात किए गए थे. लेकिन अब भारतीय कंपनियां ही इन कपड़ों को बनाएंगी.

डीआरडीओ द्वारा बनाए गए कपड़े तीन लेयर में पहने जाते हैं और इनसे 15 डिग्री से लेकर शून्य से 50 डिग्री नीचे के तापमान पर आराम से पहना जाता है. इन विशेष कपड़ों को वाटरप्रूफ और विंडप्रूफ बनाया गया है ताकि हिमालय के ऊपरी इलाकों में होने वाली बर्फबारी और तेज बर्फीली हवा से बचाव किया जा सके.

इनको पहनकर शरीर के हर हिस्से को आसानी से हरक़त कराई जा सकती है और इसमें कोई रुकावट नहीं आती. केवल एक लेयर पहनकर 15 डिग्री तापमान में काम किया जा सकता है जबकि तीनों लेयर के साथ शून्य से 50 डिग्री तक की सर्दी को आराम से झेला जा सकता है. इस तरह अलग-अलग लेयर ज़रूरत के हिसाब से पहनी जा सकती है.

ये कपड़े बैक्टीरिया को पनपने नहीं देते इसलिए इसे धोने की जरूरत नहीं है. इन कपड़ों को डिज़ाइन करने वाली डीआरडीओ की डीआईपीएएस के डायरेक्टर डॉ. राजीव वार्ष्णेय ने बताया कि कपड़ों को डिज़ाइन करने में शरीर की गर्मी को बाहर जाने से रोकने के साथ-साथ आराम का भी ध्यान रखा गया है ताकि लंबे अरसे तक इसे पहनकर ड्यूटी करने वाले सैनिकों को थकावट न हो. इनका खास हुड भीषण सर्दी में चेहर को पाले से बचाता है और बर्फबारी से भी.
इनका वजन सेना की मांग के मुताबिक कम रखा गया है ताकि सैनिक को अपनी ड्यूटी करते समय अतिरिक्त दबाव न पड़े. इनकी लागत विदेशों से आयात किए जाने वाले कपड़ों से काफr कम है और इससे विदेशी मुद्रा की काफी बचत होगी.

 

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