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“स्वतंत्र बोल का खामियाजा”- रघुराम राजन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लगातार आलोचक रहे और प्रखर वक्ता भानु प्रताप मेहता ने जुलाई 2019 में अशोक विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में पद छोड़ दिया था, लेकिन एक प्रोफेसर के रूप में उनकी सेवा जारी थी, जिसे उन्होंने मंगलवार को इस्तीफा देकर अचानक छोड़ दिया.

          रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और मशहूर अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने अशोका यूनिवर्सिटी में चल रही घटनाओं पर चिंता जताई है.

रघुराम राजन, जो अर्थशास्त्री हैं और शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर हैं, ने अपने एक लिंक्डइन पोस्ट में कहा है, “अशोका के संस्थापकों को आखिर किसने प्रेरणा दी होगी कि बुलंद आवाज को सुरक्षा देना बंद करो. क्या अशोका के संस्थापकों ने परेशान आलोचकों से छुटकारा पाने के लिए बाहरी दबाव के आगे घुटने टेक दिए हैं.”                                                                                                                                                                                                                                                                 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लगातार आलोचक रहे और प्रखर वक्ता प्रताप भानु मेहता ने जुलाई 2019 में अशोक विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में पद छोड़ दिया था, लेकिन एक प्रोफेसर के रूप में उनकी सेवा जारी थी, जिसे उन्होंने मंगलवार को इस्तीफा देकर अचानक छोड़ दिया. कुलपति मलबिका सरकार को लिखे अपने पत्र में, 54 वर्षीय मेहता ने लिखा था, “संस्थापकों के साथ एक बैठक के बाद मेरे लिए पर्याप्त रूप से यह स्पष्ट हो गया है कि विश्वविद्यालय के साथ मेरे जुड़ाव को एक राजनीतिक दायित्व माना जा सकता है. स्वतंत्रता के संवैधानिक मूल्यों और सभी नागरिकों के लिए समान सम्मान का प्रयास करने वाली राजनीति के समर्थन में मेरा सार्वजनिक लेखन विश्वविद्यालय के लिए जोखिमभरा हो सकता है. इसलिए मैं विश्वविद्यालय के हित में इस्तीफा देता हूं. ” राजनीतिक टिप्पणीकार प्रताप भानु मेहता के इस संस्थान से निकलने के दो दिन बाद ही जाने माने अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यम ने भी अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया है. राजनीतिक टिप्पणीकार प्रताप भानु मेहता के इस संस्थान से निकलने के दो दिन बाद ही जाने माने अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यम ने भी अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया है. सुब्रमण्यम ने अपने इस्तीफे में लिखा, ‘‘ऐसी प्रतिष्ठा एवं विद्वता के व्यक्ति (मेहता) जिसने अशोका के विचार को मूर्त रूप दिया, का इस्तीफा देना परेशाना करने वाला है. अशोका निजी दर्जा एवं निजी पूंजी होने के बावजूद अब शैक्षणिक अभिव्यक्ति एवं आजादी नहीं दे पा रहा है जो चिंताजनक है. कुल मिलाकर अशोक की दृष्टि के लिए लड़ने की विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता पर अब सवाल खड़ा हो गया है और मेरे लिए अशोका के हिस्से के तौर पर जुड़े रहना मुश्किल हो गया है.”

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