उत्तर प्रदेश

सिद्धपीठ स्थित बुढ़िया माई के तेज से समूचा आध्यात्मिक जगत प्रकाशमान- महामंडलेश्वर

गाजीपुर। सिद्धपीठ के गुरुजनों के बताए मार्ग का अनुसरण करने वाला शिष्य समुदाय पाकर मैं अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता हूं। ऐसे में इस पीठ के 26 वें पीठाधीश्वर के रूप में विगत 26 वर्षों से परंपराओं का निर्वहन कर मैं अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता हूं।

उपरोक्त बातें महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज ने विजयादशमी के अवसर पर सिद्धेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में उपस्थित शिष्य श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा।

श्री यति जी ने ‘भज सेवायाम’ पर प्रकाश डालते हुए कहाकि सिद्धपीठ हथियाराम मठ के ब्रह्मलीन गुरुजी लोग प्राचीन समय से भज सेवायाम को मूल मंत्र मानते हुए समाज सेवा को भी भजन का ही स्वरूप मानते रहे। जिनके द्वारा स्थापित गुरुकुल शिक्षालय, इंटर कॉलेज, महाविद्यालय इत्यादि समाज सेवा का कार्य करते हैं। वही सिद्धपीठ गाय, गंगा, गांव, संस्कृति, संस्कार व धर्म रक्षा के लिए कृत संकल्पित है। कर्म प्रधान पर विश्वास रखने वाले सिद्धपीठ के संत शांति व क्रांति दोनों को अपने अंदर समाहित रखते हैं। राष्ट्र रक्षा के लिए आवश्यकता पड़ी तो संत समाज देश की सीमाओं पर भी सबसे आगे खड़ा नजर आएगा।

गुरुकृपा महत्व पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि रावण वध के उपरांत जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम घर लौटे, तब माता कौशल्या द्वारा उनके युद्ध के विषय में सवाल पूछे जाने पर भगवान राम ने कहाकि मैंने कुछ नहीं किया, यह सब गुरुजनों के आशीर्वाद से संभव हुआ है।

कहा कि सिद्धपीठ की अधिष्ठात्री देवी मृण्मई वृद्धम्बिका देवी (बुढ़िया माई) के प्रकाश से समूचा अध्यात्म जगत प्रकाशमान है। आज सिद्धपीठ हथियाराम मठ सनातन धर्मावलंबियों के लिए एक तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात हो चुका है।

-राष्ट्रसेवा के लिए कृतसंकल्पित आरएसएस प्रचारक होते हैं सन्त के समान- महामंडलेश्वर

श्री यति जी ने विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत प्रचारक रमेश जी व कानपुर प्रांत प्रचारक श्रीराम जी को संत स्वरूप का दर्जा देते हुए कहाकि संघ प्रचारक गृह त्याग कर राष्ट्र सेवा व धर्म सेवा के नियमित कार्य करने का कार्य करते हैं। सभी प्रचारक एक संत के समान ही होते हैं जिन का सम्मान हम सभी का नैतिक कर्तव्य बनता है।

धर्म, संस्कृति और राष्ट्र रक्षा के लिए कृत संकल्पित है सिद्धपीठ हथियाराम मठ : रमेश

सिद्धेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में आयोजित संत समागम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत प्रचारक रमेश ने कहाकि यह गर्व का विषय है कि जिस आध्यात्मिक परंपरा और प्रतिष्ठा के कारण पूरे विश्व में भारत की एक जगत प्रतिष्ठा है, उसका केंद्र बिंदु सिद्धपीठ हथियाराम मठ है। एक बार जो संपर्क में आ गया, वह धन्यता को प्राप्त कर गया। जब समाज देश पर संकट आता है तो समाधान भी या मठ ही प्रदान करता है।

उन्होंने कहाकि धर्म सत्ता का केंद्र बिंदु यह सिद्धपीठ राजसत्ता का निर्धारण भी कर सकती है। लेकिन इस सिद्धपीठ की परंपरा, कठिन आचार संहिता सिद्धसंतों का सरल आचार व्यवहार अध्यात्मिक विकास के प्रति उनका संकल्प धर्म, संस्कृति व राष्ट्र रक्षार्थ के निमित्त ही निरंतर कार्य करते हैं जो सिद्ध पीठ को महान बनाता है। आत्मीयता पूर्वक संवाद के प्रणेता व दुख में भी पीड़ित को संतोष प्रदान करने वाला संतों का सरल व्यवहार इस पीठ की महत्ता को सूर्य के समान प्रकाशित करने का कार्य करते हैं।

नीति से अदालत, नियत से परिवार और समाज चलता है : श्रीराम

कानपुर प्रान्त प्रचारक श्रीराम ने कहाकि सिद्धपीठ हथियाराम मठ प्रबुद्ध व समृद्ध है। यहां से जुड़े शिष्य श्रद्धालुओं का वैचारिक विकास देखते ही बनता है। समाज की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहाकि नीति से अदालत चलती है जबकि नीयत से परिवार व समाज चलते हैं। ऐसे में स्वस्थ समाज की स्थापना में हम सभी के नियत काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उन्होंने कहा कि हम सभी सौभाग्यशाली हैं जो सिद्धपीठ के परंपरागत गुरु शिष्य परंपरा से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहाकि सिद्धपीठ की पवित्र माटी की कृपा से सामान्य परिवार में जन्म लेने के बावजूद भी असामान्य कार्य करने की क्षमता प्राप्त हो जाती है।

इसके पूर्व 750 वर्ष प्राचीन परंपरा के तहत महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज द्वारा शस्त्र पूजन, शास्त्र पूजन, ध्वजा पूजन, शिवपूजन, शक्ति पूजन, शमी वृक्ष पूजन के साथ ही सिद्धेश्वर महादेव मंदिर रुद्राभिषेक के उपरांत भव्य संत समागम का आयोजन करते हुए वर्ष में एक बार बताने वाले बुढ़िया माई के भोग प्रसाद हलवा पूड़ी का प्रसाद वितरण किया गया। जिसमें देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।

इस अवसर पर साध्वी निष्ठा, लोकसेवा आयोग सदस्य द्वय डॉ रामजी मौर्य, डॉ हरेश प्रताप, माध्यमिक शिक्षक चयन बोर्ड सदस्य हरेन्द्र राय, भाजपा जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह, विधायक डॉ वीरेंद्र यादव, आरएसएस प्रचारक कमलेश जी, जितेंद्र सिंह वैभव, डॉ रत्नाकर त्रिपाठी, शम्भुजी पाठक, सन्त देवराहा बाबा, डॉ इंद्रजीत सिंह, डॉ सन्तोष मिश्र, दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष शक्ति सिंह, जितेन्द्र सिंह”वैभव” वरुण सिंह, बृजेन्द्र राय, अखिलेश सिंह, अशोक चौहान इत्यादि उपस्थित रहे। संत सभा का संचालन संतोष यादव व आगन्तुकों के प्रति आभार प्रकट डॉ सन्तोष मिश्रा ने किया।

बुढ़िया माई का 750 वर्ष प्राचीन परम्परागत भोग प्रसाद पाने के लिए श्रद्धालुओं की लगी कतार

गाजीपुर। जनपद के जखनियां तहसील क्षेत्र में स्थित सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर विजयादशमी के दिन साल भर में एक बार प्राप्त होने वाला बुढ़िया माई को चढ़ाया हुआ भोग प्रसाद हलुवा पूड़ी प्रसाद पाने के लिए श्रद्धालुओं की देर शाम तक कतार लगी रही।

गौरतलब हो कि 750 वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ हथियाराम मठ अध्यात्म जगत में एक तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात है। जहां की अधिष्ठात्री देवी मृण्मई वृद्धम्बिका देवी (बुढ़िया माई) को साल में एक बार विजयादशमी के दिन हलवा पुरी का भोग लगाया जाता है। जिसका वितरण शिष्य श्रद्धालुओं को भी महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज द्वारा किया जाता है। जिसे पाने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। विजयादशमी के तहत शुक्रवार की देर शाम तक श्रद्धालुओं की कतार लगी रही।

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