उत्तर प्रदेश

विधान परिषद (Legislative Council) की 36 सीटों में से 27 सीटों पर मतदान

लखनऊ. स्थानीय निकाय क्षेत्र के प्रतिनिधियों के द्वारा विधान परिषद (Legislative Council)  की 27 सीटों पर 9 अप्रैल को मतदान होगा. वैसे तो 35 निर्वाचन क्षेत्र की कुल 36 सीटों पर चुनाव की घोषणा हुई थी लेकिन 9 सीटों पर पहले ही बीजेपी के प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं. ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में उनके अलावा अन्य किसी पार्टी का कैंडिडेट नहीं है. इसलिए उनका निर्विरोध चुना जाना तय है. जिन सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध चुन लिए जाएंगे वे सीटें हैं, बदायूं, हरदोई, लखीमपुर खीरी, मिर्जापुर-सोनभद्र, बांदा-हमीरपुर, अलीगढ़, बुलंदशहर और मथुरा-एटा-मैनपुरी. जिन सीटों पर वोटिंग है वे सीटें हैं, मुरादाबाद-बिजनौर, रामपुर-बरेली, पीलीभीत-शाहजहांपुर, सीतापुर, लखनऊ-उन्नाव,, रायबरेली, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, बाराबंकी, बहराइच, आजमगढ़-मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, प्रयागराज, झांसी-जालौन-ललितपुर, कानपुर-फतेहपुर, इटावा-फर्रुखाबाद, आगरा-फिरोजाबाद, मेरठ-गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर-सहारनपुर, गोंडा, फैज़ाबाद, बस्ती- सिद्धार्थनगर, गोरखपुर-महाराजगंज, देवरिया और बलिया. प्रतापगढ़, मेरठ-गाजियाबाद और देवरिया इन 3 सीटों पर सबसे ज्यादा 6-6 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. वैसे तो सभी 36 सीटों पर कुल 104 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मतदान वाली 27 सीटों पर कुल 95 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला स्थानीय निकाय के जनप्रतिनिधि करेंगे. अमूमन 1 जिले में एक एमएलसी का पद है लेकिन दो-तीन जिलों को मिलाकर भी एक एमएलसी चुना जाता है. सिर्फ मथुरा-एटा-मैनपुरी 3 जिलों वाला ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है जहां से दो एमएलसी चुने जाते हैं. जीते हुए सभी विधायकों का कार्यकाल 6 साल का होगा. वैसे तो हर सीट पर सपा-भाजपा के बीच आमने सामने की टक्कर है लेकिन इन सभी सीटों में सबसे दिलचस्प चुनाव आजमगढ़ मऊ में हो रहा है. यहां भाजपा के एमएलसी यशवंत सिंह के बेटे विक्रांत सिंह रिशु निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा एमएलसी होते हुए अपने बेटे को भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ाने के चलते यशवंत सिंह को पार्टी ने 6 साल के लिए पार्टी से निकाल भी दिया है. आइए अब जानते हैं कि कौन-कौन इस चुनाव में वोट दे सकता है. 27 विधायकों का चुनाव वे लोग करेंगे जिन्हें जनता ने पहले से चुना हुआ है. यहां ध्यान रहे कि 36 में से 9 निर्विरोध चुन लिए जाएंगे इसलिए मतदान सिर्फ 27 सीटों पर ही होगा. कुल 9 चुने हुए जनप्रतिनिधि इसमें वोटिंग करेंगे. ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर पालिकाओं के सदस्य और नगरपालिकाओं के चेयरमैन. इसके अलावा विधानसभा में चुने गए विधायक भी वोट करेंगे. इस चुनाव में चुनाव निशान पर मुहर लगाना या फिर EVM में बटन दबाना नहीं पड़ता बल्कि अपने पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे पहली प्राथमिकता यानी नंबर 1 लिखना होता है. जिस उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता सबसे ज्यादा मिलती है वो जीत जाता है. 9 अप्रैल को सुबह 8 बजे से शाम के 4 बजे तक मतदान होगा. 12 अप्रैल को सुबह 8 बजे से वोटों की गिनती होगी और उम्मीद की जानी चाहिए कि दोपहर बाद तक सभी सीटों के नतीजे आ जाएंगे. इस चुनाव में ज्यादातर सीटों पर सत्ताधारी पार्टी के ही विधायक जीतते रहे हैं. ऐसे में संभावना है कि 36 सीटों में से 30 से ऊपर भाजपा के उम्मीदवार जीत जाएंगे. चुनाव के नतीजे के बाद विधान परिषद में भाजपा को बहुमत मिल जाएगा. अभी उसके 33 सदस्य विधानपरिषद में हैं. बता दें कि मौजूदा समय में भाजपा के 33, सपा के 17, बसपा के 4, कांग्रेस, अपना दल (एस) और निषाद पार्टी का एक-एक एमएलसी है. इसके अलावा शिक्षक दल के 2, निर्दलीय समूह के 1 और 1 निर्दलीय एमएलसी हैं. यानी 61 विधायक मौजूद हैं और 39 सीटें खाली हैं. 39 में से 36 पर चुनाव हो रहे हैं.

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