लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर; बड़े निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था;
लखनऊ. भारत में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने के केंद्र सरकार के प्रावधान पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. आरएसएस ने कहा है कि लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर वह एनडीए सरकार के साथ नहीं है. अपने बड़े निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था की वार्षिक बैठक में आरएसएस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि लड़कियों के लिए शादी की उम्र पर सरकार द्वारा प्रस्तावित कानून पर उनके विचार मेल नहीं खाते. उनका मानना है कि शादी की उम्र जैसे मुद्दों को तय करने के लिए समाज पर छोड़ दिया जाना चाहिए.
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शादी की उम्र का मुद्दा चर्चा
आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘शादी की उम्र का मुद्दा चर्चा में है. कई बातें सामने आई हैं. आदिवासियों और ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह जल्दी हो जाते हैं. सरकार शिक्षा और प्रारंभिक गर्भावस्थात का तर्क देती है. लेकिन, सरकार को भी इसे आगे बढ़ाने की जल्दी नहीं दिख रही है. सवाल यह है कि सरकार को ऐसे मामलों में कितना हस्तक्षेप करना चाहिए. कुछ चीजों को समाज पर छोड़ दिया जाना चाहिए.’ सूत्रों ने बताया कि शादी की उम्र को घटाकर 18 साल करने के लिए सरकार के साथ राय भी साझा की गई थी, लेकिन कुछ सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया. पिछले साल दिसंबर में सरकार के एक विधेयक में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान किया गया. विपक्ष की आलोचना के बीच इस विधेयक को आगे की चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया.
उन्होंने कहा, ‘इन पर राजनीतिक चर्चा नहीं होनी चाहिए, बल्कि सामाजिक चर्चा होनी चाहिए. असहाय समाज हर चीज के लिए कानून की मांग करते हैं. एक मजबूत समाज को अपने आप एक समाधान खोजना चाहिए. इस दौरान राष्ट्रवादी स्वयंसेवक संगठन ने Hijab विवाद पर भी अपनी राय जाहिर की. इस दौरान कहा गया कि इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया, जबकि यह स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जाना चाहिए था. बता दें कि संगठन के काम का जायजा लेने के लिए हर साल एक मीटिंग आयोजित होती है. जिसमें देश भर के आरएसएस के शीर्ष नेता भाग लेते हैं.