रूस की वैक्सीन को पाकिस्तान ने दी मंजूरी पर अब तक हाथ खाली
इस्लामाबाद। भारत तो पड़ोसी मुल्कों को वैक्सीन तोहफे में भी भेज रहा है लेकिन पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान अभी भी यही बाट जोह रहा है कि उसे वैक्सीन कौन देगा। कुछ दिन पहले पाकिस्तान ने कहा था कि चीन अपनी बनाई सिनोफार्म वैक्सीन उसे देने वाला है और अब इस्लामाबाद ने रूस की बनाई वैक्सीन स्पुतनिक वी को भी आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी लेकिन सवाल यही है कि आखिर पाकिस्तान को वैक्सीन मिलेगी कब।
पाकिस्तान की वेबसाइट ‘डॉन डॉट कॉम’ के मुताबिक, देश की सरकार ने रूस की कोविड वैक्सीन स्पुतनिक वी को भी आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। यह तीसरी वैक्सीन है जिसे पाकिस्तान ने मंजूरी दी है लेकिन अभी तक वहां टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। इससे उलट भारत में 3 जनवरी को दो टीकों को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली और 16 जनवरी से देशभर में टीकाकरण शुरू हो गया। इतना ही नहीं 20 जनवरी से भारत अपने पड़ोसी देशों को भी वैक्सीन भेजने लगा था।
बीते हफ्ते पाकिस्तान की दवा नियामक संस्था ने ऑक्सफोर्ड एस्ट्रेजेनेका की वैक्सीन को मंजूरी दी थी और इससे पहले ही चीन की बनाई सिनोफार्म वैक्सीन को पाकिस्तान में मंजूरी मिल गई थी। जबकि भारत ने आत्मनिर्भर रहकर ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनका की वैक्सीन का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पुणे केंद्र में उत्पादन किया और साथ ही भारत बायोटेक की बनाई स्वदेशी कोरोना वैक्सीन को भी अब सुरक्षित माना जा रहा है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इसी हफ्ते घोषणा की थी कि चीन ने 31 जनवरी तक पाकिस्तान को कोरोना वैक्सीन की 5 लाख खुराकें भेजने का वादा किया है। पाकिस्तान ने सबसे पहले चीन की वैक्सीन को ही इस्तेमाल की इजाजत दी थी लेकिन अभी तक यह वैक्सीन इस्लामाबाद पहुंची नहीं है।
वहीं, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनका की वैक्सीन की कीमत पाकिस्तान की पहले से खाली जेब में छेद कर सकती है। दरअसल, अगर पाकिस्तान इस वैक्सीन को मंगवाता है तो उसे एक वैक्सीन के लिए 6 से 7 डॉलर चुकाने पड़ेंगे जो कि पाकिस्तानी रुपये के हिसाब से 1125 रुपये तक हैं। इसके अलावा ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका ने अभी तक यह भी साफ नहीं किया है कि वह कितने समय में टीके पाकिस्तान को भेज पाएगा।
इस असमंजस की स्थिति में पाकिस्तान ने अब रूस की स्पुतनिक वी वैक्सीन को मंजूरी दी है। डॉन न्यूज के मुताबिक, पाकिस्तान ने अपनी 70 प्रतिशत आबादी को टीका देने का लक्ष्य रखा है।