उत्तर प्रदेश

यूपी में हुई महंगी रजिस्ट्री

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में सोमवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। मंत्रिमंडल ने रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 में वर्णित रजिस्ट्रीकरण फीस सारणी के पुनरीक्षण का निर्णय लिया है। इसके तहत निबन्धन शुल्क की अधिकतम सीमा बढ़ाकर 20 हजार रुपया किये जाने का निर्णय लिया गया है। वर्तमान में विक्रय पत्र एवं सदृश्य विलेखों के लिए निबन्धन शुल्क की दरों की अधिकतम सीमा 10 हजार रुपये है जो कि लगभग छह वर्ष पुरानी हो गयी है। इसके अलावा निबन्धन शुल्क सारणी अन्य प्रमुख दस्तावेजों, दत्तक ग्रहण, वसीयत, एटार्नी विशेष, एटार्नी सामान्य, नकल एवं मुआयना आदि पर रजिस्ट्री की वर्तमान दरें 1995 में निर्धारित की गयी (शेष पेज 13)थीं, जो लगभग 20 वर्ष से अधिक पुरानी है। इन दरों में भी संशोधन का निर्णय लिया गया है। दत्तक ग्रहण के लिए निबन्धन शुल्क 100 रुपया से बढ़ाकर 500 रुपये, वसीयत के लिए 100 से बढ़ाकर 500, अटार्नी विशेष के लिए 10 रुपये से बढ़ाकर 250 रुपये, अटार्नी सामान्य के लिए 50 से बढ़ाकर 500 रुपये, नकल के लिए 10 रुपये एवं एक रुपये प्रति पृष्ठ का योग अगले 10 रुपये पर पूर्णाकित करते हुए तथा मुआयना के लिए पांच रुपये प्रति वर्ष अधिकतम 50 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये प्रतिवर्ष तथा अधिकतम 100 रुपये करने का निर्णय लिया गया है। यूपी स्टाम्प नियमावली 1997 में संशोधन : यूपी स्टाम्प (सम्पत्ति का मूल्यांकन) नियमावली 1997 के नियम-5 (ग) में संशोधन का फैसला लिया गया है। वित्त अधिनियम 2013 द्वारा आयकर अधिनियम 1961 की धारा-43 सीए व धारा -85 की उपधारा (2)2 व (3) में संशोधन के फलस्वरुप वर्तमान क्रेता एवं विक्रेता पर आयकर की देयता स्टाम्प हेतु आगणित मूल्यांकन पर की जा रही है। ऐसी दशा में व्यावसायिक सम्पत्ति का मूल्यांकन जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित सर्किल दर से मासिक किराये के 300 गुने के आधार पर करने पर वास्तविक मूल्य अथवा प्रतिफल की धनराशि से कहीं अधिक होने की दाश में वस्तुत: विक्रेता को प्राप्त न होने वाली धनराशि पर भी कर देयता आयकर विभाग द्वारा निर्धारित की जाती है, जिसके फलस्वरूप ऐसे अन्तरण के विलेखों को निष्पादित किया जाना संभव नहीं हो पा रहा है। वर्तमान व्यवस्था में संशोधन किये जाने की जरूरत को देखते हुए , जिससे व्यावसायिक सम्पत्तियों का मूल्यांकन बाजार मूल्य के अनुरूप हो सके तथा पक्षकारों को व्यावसायिक सम्पत्तियों का निबन्धन कराये जाने में किसी कठिनाई का सामना न करना पड़े तथा राज्य का राजस्व भी समय से प्राप्त हो सके, यह निर्णय लिया गया है। इस संशोधन के बाद एकल दुकान/वाणिज्यिक प्रतिष्ठान की स्थिति में भूमि एवं भवन के मूल्य के योग के आधार पर एवं बहुमंजिला वाणिज्यिक भवनों में स्थित दुकानों/वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों की स्थिति में कारपेट एरिया के प्रति वर्गमीटर की दर के आधार मूल्यांकन किया जाएगा।

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