उत्तर प्रदेश

यूपीचुनाव :राजनीतिक पार्टियों की सोशल इंजीनियरिंग का गणित

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. ऐसा माना जाता है कि अगर यूपी में चुनाव जीतना है तो अच्छी सोशल इंजीनियरिंग होनी जरूरी है. मतलब ज्यादा से ज्यादा जातियों के लोगों को अपने पाले में लाना होगा. सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान करना भी शुरू कर दिया है, जिसमें जाति के गणित का खास ध्यान रखा जा रहा है.

उत्तर प्रदेश में बीजेपी, बीएसपी , सपा , कांग्रेस और आरएलडी ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. सभी राजनीतिक पार्टियों की लिस्ट में उम्मीदवारों की जाति का खास ख्याल रखा गया है.

बीजेपी ने विधान सभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण के लिए 107 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया है. बीजेपी ने 63 विधायकों को फिर से मौका दिया गया है, जबकि 20 विधायकों का टिकट काटा है. वहीं 21 नए चेहरों को बीजेपी ने टिकट दिया है. बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखते हुए टिकट बांटे हैं. बीजेपी ने 68 प्रतिशत सीटें ओबीसी, एससी और महिलाओं को दी हैं. बीजेपी ने ओबीसी को 44, एससी को 19 और महिलाओं को 10 को टिकट दिए हैं.
वहीं सपा और आरएलडी ने अब तक 36 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है. आरएलडी ने 26 तो सपा ने 10 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की है. इसमें जाटों और मुस्लिमों का खास ख्याल रखा गया है. आरएलडी ने थाना भवन से अशरफ अली, बुढ़ाना से राजपाल बालियान, मीरापुर से चंदन चौहान, मुरादनगर से सुरेन्द्र कुमार मुन्नी, शिकारपुर से किरनपाल सिंह, बरौली से प्रमोद गौड़ और इगलास से वीरपाल सिंह दिवाकर को टिकट दिया है.

इसके अलावा बीएसपी ने भी यूपी विधान सभा के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है. बीएसपी ने पहले चरण की 58 में से 53 सीटों पर उम्मीदवारों के टिकट फाइनल कर दिए हैं. बीएसपी ने 14 मुस्लिम और 9 अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने 40 फीसदी महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है.

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