यम द्वितीया पर यमुना स्नान की कथा

नई दिल्ली: कार्तिक मास शुल्क पक्ष की द्वितीया को भाई दूज और यम द्वितीया के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह 6 नवंबर 2021 को है। मान्यता है कि यम द्वितीया को मथुरा में पतित पावनी यमुना के विश्राम घाट पर बहन के साथ भाई के स्नान करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यमुना स्नान से मोक्ष प्राप्त की आशा में देश के कोने कोने से यम द्वितीया पर तीर्थ यात्री बड़े ही उत्साह के साथ मथुरा आते हैं। इन यात्रियों में गुजरात के लोगों की संख्या बहुत अधिक होती है क्योंकि गुजराती यमुना और गिर्राज जी के अटूट भक्त हैं। यम द्वितीया पर तो गुजराती अपने घर यमुना जल को एक लोटा/पात्र (कलश) में भरकर कराकर ले जाते हैं तथा इस जल के छीटें अपने लोगों पर डालने तथा जल का पूजन करने के लिए कलश खोलने के पहले धार्मिक आयोजन किया जाता है।
मथुरा जिला प्रशासन जिला इस स्नान के लिए इसलिए हरसाल विशेष व्यवस्था करता है। भाई दूज को यमुना में इसमें लाखों भाई-बहन स्नान के लिए आते हैं। पिछले साल यमुना स्नान के दौरान डूबने की घटना को रोकने के लिए विश्राम घाट के स्नानस्थल को बल्लियों से घेर दिया गया है तथा साथ में तीन तरफ से नाव लगा दी गई थीं। इसके बावजूद चूंकि भीड़भाड़ से बचने के लिए बहुत से लोग यमुना के उस पार विश्राम घाट के सामने या अन्य घाटों पर नहाते हैं। इसलिए डूबने की घटना को रोकने के लिए गोताखोरों की व्यवस्था की गई थी साथ ही मोटर बोट की व्यवस्था की गई थी। महिलाओं के वस्त्र बदलने के लिए घाट किनारे ‘चेंजिंग रूम’ की भी व्यवस्था की जाती है।
यम द्वितीया पर मथुरा में यमुना के विश्राम घाट पर भाई बहन के साथ साथ स्नान से जुड़ी पौराणिक घटना का जिक्र करते हुए अनूपयति गीता आश्रम वृन्दावन के आचार्य महामंडलेश्वर डा अवशेष स्वामी ने बताया था कि भाई दूज पर अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए जब यमराज गए तो उन्होंने उनकी बहुत आवभगत की। अपनी आवभगत से खुश होकर यमराज ने यमुना से वरदान मांगने को कहा तो यमुना ने कहा कि आज के दिन जो भी भाई बहन साथ साथ तरल यमुना में स्नान करें उन्हें यमलोक न जाना पड़े तथा सीधे मोक्ष मिल जाय।
उन्होंने बताया कि इस पर यमराज ने कहा कि चूंकि यमुना तो बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई हैं इसलिए वरदान को छोटा मांगों। इसके बाद यमुना के कहने पर उन्होंने वरदान दिया कि जो भाई बहन यमद्वितीया के दिन साथ साथ मथुरा में यमुना के विश्राम घाट पर स्नान करेंगे उन्हें यमलोक नहीं जाना पड़ेगा। इसी कारण से भाई बहन यम द्वितीया पर मथुरा के विश्राम घाट पर साथ साथ स्नान करने के लिए मथुरा की ओर खिंचे चले आते हैं। वे यमुना में स्नान करने के बाद यमुना किनारे बने यमराज मन्दिर में पूजन के लिए जाते हैं जहां पर यमुना और धर्मराज की प्रतिमाए हैं। यमराज के दिए गए वरदान के कारण ही कहा जाता है कि यम द्वितीया पर मथुरा के विश्राम घाट पर यमुना में स्नान से मोक्ष का द्वार खुल जाता है।