अंतराष्ट्रीय

भारत के दबाव के आगे झुका तालिबान! गुरुद्वारे पर वापस लगाया निशान साहिब

पख्तिया. अफगानिस्‍तान से 20 साल बाद अमेरिकी फौज वापस लौटने की खबर के साथ ही एक बार फिर तालिबान वहां पैर पसार रहा है. अफ़ग़ानिस्तान के कई इलाकों पर एक बार फिर तालिबान काबिज हो गया है. खबर है कि अफ़ग़ानिस्तान के पख्तिया प्रांत में चकमनी के ऐतिहासिक थला साहिब गुरुद्वारे से निशान साहिब को तालिबान ने जबरन हटा दिया था, हालांकि भारत के दबाव के बाद उसे फिर से लगा दिया गया है.

गुरुद्वारा से निशान साहब हटाने के मामले पर भारत ने कड़ी निंदा की थी. सूत्रों के मुताबिक, भारत ने इस कृत्य की निंदा करते हुए कहा अफगानिस्तान भविष्य में ऐसा कदम न उठाए. शुक्रवार रात को मिली खबरों के अनुसार तालिबान अपनी हरकत पर दोबारा विचार कर रहा था. इस बीच तालिबान के प्रवक्ता सोहेल शाहीन ने कहा, सिख समुदाय के लोगों को कभी अपने रीति रिवाज का पालन करने से नहीं रोका गया है और निशान साहब को वापस लगाया जाएगा.

निशान साहिब हटाने के मामले को लेकर निदान सिंह बहुत दुखी थे. निदान सिंह का इस गुरुद्वारे से बहुत पुराना रिश्ता है. चकमनी के इसी गुरुद्वारे से निदान सिंह को तालिबान ने पिछले साल जून में अगवा किया था और 1 महीने तक उन पर जुल्म ढाए थे. उनकी रिहाई के बाद निदान सिंह वापस उसी थला साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेकने पहुंचे थे और 18 जुलाई 2020 को उन्होंने निशान साहिब को अपने हाथों से लगाया था. निदान सिंह अफगान नागरिक हैं और रिहाई के बाद अब दिल्ली में रह रहे हैं.

उन्हें 15 दिन पहले पता चला कि तालिबान ने थला साहिब गुरुद्वारे से निशान साहिब को जबरन हटा दिया है. निदान सिंह ने कहा कि 2001 से पहले भी जब अफगानिस्तान में तालिबान का दबदबा था, तब भी कभी निशान साहिब को हटाया नहीं गया. ऐसा इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे के साथ पहली बार हुआ कि तालिबान ने जबरन निशान साहिब को हटाया. हालांकि उन्होंने कहा कि इलाके के मुस्लिम समुदाय के लोग भी गुरुद्वारे का सम्मान करते थे और निशान साहेब को लगाने में सहयोग भी करते थे, लेकिन तालिबान से ये उम्मीद नहीं की जा सकती.

निदान सिंह बताते हैं कि वह हर साल सेवा करने के लिए और सावन के मेले के लिए भारत से जून में 2 महीनों के लिए अफ़ग़ानिस्तान के चकमनी जाते थे. हालांकि उस इलाके में अब कोई सिख समुदाय का परिवार नहीं रहता. पिछले साल 16 जून को आधी रात को निदान सिंह उसी गुरुद्वारे में थे, जिस वक्त तालिबान ने गुरुद्वारे में घुसकर निदान सिंह को अगवा किया था. निदान सिंह बताते हैं कि उनके हाथ-पैर बांध दिए गए थे और उनकी आंखों पर काली पट्टी बांधकर उन्हें एक गाड़ी से किसी अनजान जगह पर ले जाया गया. तालिबान के जुल्म की दास्तान सुनाते हुए निदान सिंह कहते हैं कि उन्हें दिन में दो से तीन बार मारा-पीटा जाता था और कई बार जान से मारने की धमकी भी दी जाती थी. कई दिनों तक निदान सिंह को नंगे पैर चलने पर मजबूर किया गया, जिससे उनके पैर छलनी हो गए. निदान बताते हैं कि तालिबान के कब्ज़े में उन्हें एक कब्र जितनी जगह में रखा जाता था और वो एक महीने तक ज़मीन पर सोने को मजबूर थे. आज भी निदान सिंह के जख्म भरे नहीं है.

निदान सिंह चाहते हैं कि वह एक बार फिर उसी गुरुद्वारे में जाकर सेवा करें और हर साल सावन के मेले में दूर-दूर से लोग उस गुरुद्वारे में आएं. लेकिन अफगानिस्तान के बदलते हालात को लेकर निदान सिंह की इच्छा पूरी होगी या नहीं, वह नहीं जानते हैं. अफगानिस्तान के हालात को लेकर निदान सिंह कहते हैं कि अब हमारा तालिबान के रहते हुए वहां गुजारा नहीं हो सकता. निधान सिंह ने मोदी सरकार के सीएए यानी सिटीज़नशिप अमेंडमेंट एक्ट को एक अच्छा कदम बताया और कहा कि इससे उन तमाम अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को उम्मीद मिली है कि अब वह हिंदुस्तान में सुरक्षित रख सकते हैं.

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