भगत-कोहली की जोड़ी सेमीफाइनल में, सुहास, तरूण और मनोज ने एकल स्पर्धा में क्वालीफाई किया
तोक्यो । भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत और उनकी जोड़ीदार पलक कोहली ने शुक्रवार को यहां तोक्यो पैरालंपिक की बैडमिंटन मिश्रित युगल स्पर्धा के सेमीफाइनल के लिये क्वालीफाई किया जबकि तीन एकल खिलाड़ी सुहास यथिराज, तरूण ढिल्लों और मनोज सरकार ने भी अंतिम चार में जगह बनायी।
पहले ही एसएल3 क्लास में सेमीफाइनल के लिये क्वालीफाई कर चुके भगत और कोहली ने ग्रुप बी में थाईलैंड के सिरिपोंग टीमारोम और निपाडा साएनसुपा की जोड़ी को 29 मिनट में 21-15 21-19 से हराया जिससे वे ग्रुप बी में दूसरे स्थान पर रहे।
पुरूषों के एकल में नोएडा जिले के मजिस्ट्रेट सुहास, तरूण और मनोज ने अपना दूसरा ग्रुप मैच जीतकर सेमीफाइनल के लिये क्वालीफाई किया।
एसएल4 क्लास में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी सुहास ने ग्रुप ए में इंडोनेशिया के हैरी सुसांतो को 19 मिनट में 21-6 21-12 से शिकस्त दी जबकि दूसरे वरीय तरूण ने एसएल4 के ग्रुप बी मैच में कोरिया के शिन क्यूंग हवान को 21-18 15-21 21-17 से हराया।
सहुास का सामना दिन में अब फ्रांस के शीर्ष वरीय लुकास मजूर से होगा जबकि तरूण इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान से भिड़ेंगे।
एसएल क्लासिफिकेशन में वो खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं जिन्हें खड़े होने में दिक्कत हो या निचले पैर का विकार हो जबकि एसयू में ऊपरी हिस्से के विकार वाले एथलीट खेलते हैं।
अपने ग्रुप में तीन में से दो दो जीत दर्ज करने के बाद सुहास और तरूण ने सेमीफाइनल के लिये क्वालीफाई किया और नॉकआउट चरण में एक दूसरे से भिड़ सकते हैं।
सुहास को एक टखने में विकार है जबकि आठ साल की उम्र में गंभीर चोट के कारण तरूण के घुटने के मूवमेंट सीमित हैं।
एसएल3 क्लास में मनोज ने यूक्रेन के ओलेकसांद्र चिरकोव पर 21-16 21-9 की जीत से नॉकआउट चरण में जगह बनायी। वह ग्रुप ए में दुनिया के नंबर एक प्रमोद भगत के बाद दूसरे स्थान पर रहे।
पोलियो से ग्रस्त 31 साल के मनोज को अपने शुरूआती मैच में भगत से हार का सामना करना पड़ा था।
इससे पहले पलक कोहली (19) और पारूल परमार (48) की जोड़ी को एसएल3-एसयू5 महिला युगल के ग्रुप ए में लगातार दूसरी हार झेलनी पड़ी। भारतीय जोड़ी फ्रांस की लेनेग मोरिन और फौस्टिन नोएल की जोड़ी से 12-21 20-22 से पराजित हो गयी।
वहीं सुहास को अपने मुकाबले में जरा भी पसीना नहीं बहाना पड़ा जबकि तरूण को अपने प्रतिद्वंद्वी को पस्त करने में खासी मशक्कत करनी पड़ी।