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बाबरी कांड के बाद IB के जरिए सोनिया पर नजर रखते थे नरसिम्हा राव, किताब में खुलासा

नई दिल्ली.बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराने के बाद तब के पीएम नरसिम्हा राव ने इंटेलिजेंस ब्यूरो से सोनिया गांधी और उनके घर 10 जनपथ पर नजर रखने को कहा था। राव ने कैबिनेट में शामिल नेताओं की एक लिस्ट भी तैयार कराई थी। इसमें उन नेताओं के नाम थे जो या तो राव या फिर सोनिया के फेवर में थे। ये खुलासा राइटर विनय सीतापति की आने वाली किताब- ‘हाफ लाइन: हाउ पीवी नरसिम्हा राव ट्रांसफॉर्म इंडिया’ में किया गया है। 10 जनपथ की खबर देती थी आईबी…
– किताब में दावा किया गया है कि बाबरी कांड को लेकर मई, 1995 में सोनिया और राव के रिश्तों में टकराव था।
– सोनिया ने कांग्रेस नेताओं को राव पर और राव ने आईबी को 10 जनपथ पर नजर रखने के लिए लगा दिया था।
– राव ने एक आईबी अफसर से पूछा था, ”कितने लीडर प्रो-हाईकमांड (राव) और कितने प्रो-10 जनपथ हैं?”
आईबी ने ऐसे तैयार की थी लिस्ट
– आईबी ने अपनी लिस्ट में नेताओं के नाम के आगे राज्य, जाति, उम्र, ईमानदारी और कमेंट के कॉलम बनाए थे।
– जैसे- मणिशंकर अय्यर के लिए ”तमिलनाडु, ब्राह्मण, 52, प्रो-10 जनपथ, बाबरी कांड में पीएम की नाकामी मानने वाले।”
– मारग्रेट अल्वा के लिए ”कर्नाटक, ईसाई, 53, प्रो-हाईकमांड, राजनीतिक तौर पर कमजोर।”
– शरद पवार के लिए, ”महाराष्ट्र, मराठा, डाउटफुल, एक प्रभावी नेता” लिखा था।
– किताब के मुताबिक, ये पहला मौका नहीं था जब राव ने सोनिया के असर के खिलाफ आईबी का इस्तेमाल किया हो।
– 7 दिसंबर, 1992 को भी राव ने 10 जनपथ की हलचल जानने के लिए एक आईबी अफसर को सोनिया के घर भेजा था।
– उस दौरान सोनिया के घर हुई बातचीत को आईबी ने कोट किया था। उस अफसर ने लिखा था- ”सोनिया से मुलाकात के दौरान अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, अजीत जोगी, सलामतुल्ला और अहमद पटेल ने बाबरी के मुद्दे पर नाराजगी जताई। उनका मानना है कि पीएम हालात को संभाल नहीं पाए।”
राव की शिकायत करते थे कई कांग्रेसी नेता
– राजीव गांधी की मौत के बाद नरसिम्हा राव ने दो साल तक सरकार चलाई थी। लेकिन 1992 से अर्जुन सिंह ने राव का विरोध शुरू कर दिया।
– एनडी तिवारी, नटवर सिंह और बाकी कांग्रेस नेता भी सोनिया से राव की शिकायत करते थे।
– लेकिन कोई सबूत नहीं मिलने के चलते सोनिया ने इसे हल्के में लिया था।
सोनिया के करीबी ने नहीं होने दिया था राव का दिल्ली में अंतिम संस्कार
– दिसंबर, 2004 में राव के निधन के बाद उनकी फैमिली दिल्ली में अंतिम संस्कार करना चाहती थी।
– तब रावन के बेटे प्रभाकर ने मनमोहन सिंह से इसके लिए बात की थी। लेकिन सोनिया के एक करीबी ने बॉडी हैदराबाद भेजने की बात कही।
– इस दौरान प्रभाकर के साथी ने कहा था- “सोनियाजी इनको (राव) नेशनल लीडर नहीं देखना चाहतीं।”
– अगले दिन पार्थिव शरीर जब हैदराबाद के लिए ले जाया जा रहा था, तो एक सीनियर नेता चाहते थे कि कांग्रेस हेडक्वॉर्टर में श्रद्धांजलि दी जाए।
– लेकिन तब मेन गेट पर ताला लगा था। इसके चलते घंटों तक राव का पार्थिव शरीर कांग्रेस हेडक्वॉर्टर के बाहर रखा रहा।
– एक कांग्रेस नेता ने कहा, ”सिर्फ एक ही आदमी गेट खोलने के लिए ऑर्डर दे सकता है।”
– एक टीवी चैनल ने दिखाया था कि हैदराबाद में राव के अंतिम संस्कार के दौरान अधजले शरीर को कुत्तों ने चिता से खींचने की कोशिश की।

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