पुतिन की आर्मी ( army r)चेर्नोबिल में पीछे हटी

यूक्रेन युद्ध : यूक्रेन युद्ध को अब 38 वां दिन हो गया लेकिन अब भी युद्ध समाप्ति की ओर नहीं है. तुर्की में दोनों देशों के बीच शांति वार्ता के बाद रूस ने कीव के आसपास हमले में कमी करने के संकेत दिए थे. इसके बावजूद अन्य जगहों पर रूसी हमले जारी है. इस बीच बीबीसी ने दावा किया है कि रूसी सैनिक ( army r) चेर्नोबिल से वापस जा रहे हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सोवियत संघ के समय का परमाणु संयंत्र वाले इस शहर से रूसी सेना अब वापसी कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या रूस यूक्रेन में पिछड़ रहा हैं?
यूक्रेन में परमाणु संयंत्र को संचालित करने वाली सरकारी कंपनी इनरगोटॉम का कहना है कि रूसी सेना की दो टुकड़ी चेर्नोबिल से अब बेलारूस की तरफ जा रही है. इस संबंध में समझौता हुआ है. अमेरिकी रक्षा अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है.
रूसी सैनिक हुए रेडिएशन के शिकार
युद्ध की शुरुआत में ही रूसी सेना ने चेर्नोबिल पर कब्जा कर लिया था. यूक्रेन ने कहा, गुरुवार की सुबह आक्रमणकारियों ने चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट को छोड़ने की घोषणा की है. यूक्रेन ने यह भी दावा किया है कि रूसी सैनिकों ने चेर्नोबिल के सबसे परमाणु रिसाव वाले इलाके में खाई खोदी थी जिसके कारण उनकी सेनाओं को रेडिएशन का सामना करना पड़ा. विकिरण के प्रभाव को हटाने के लिए कुछ सैनिकों का बेलारूस में इलाज किया जा रहा है. रूसी सैनिकों को भी यह पता नहीं था जिस इलाके में वे खाई खोद रहे हैं वह रेडिएशन जोन है. हालांकि रूसी सेना का कहना है कि जब न्यूक्लियर प्लांट पर कब्जा किया था, तब रेडिएशन का स्तर खुद ही सामान्य था. गौरतलब है कि चेर्नोबिल में दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा परमाणु हादसा हुआ था. आज चेर्नोबिल शब्द का मायने ही विनाश का पर्याय है.
वन्यजीवों पर पड़ रहा असर
परमाणु विशेषज्ञों का मानना अब दूसरे चेर्नोबिल का कोई खतरा नहीं था. शेफील्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर क्लेरी कॉर्कहिल ने बताया कि अब उस जगह कोई भी सक्रिय न्यूक्लियर रिएक्टर नहीं है. अगर कोई रेडियोएक्टिव स्मोक का भंडार कहीं पर छुपा हुआ तो यह बात अलग है. 4 मार्च को रूसी हमले में चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र के खंडहर में आग लग गई थी. इसपर इंटरनेशनल एटोमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA)ने रूस की आलोचना की थी और उस जगह जाने की योजना भी बनाई थी. हालांकि इसे लेकर वैज्ञानिकों ने भी चिंता जाहिर की थी. प्रोफेसर निग ब्रेसफोर्ड परित्यक्त जोन को लेकर अध्ययन कर रहे हैं. उनका कहना है कि चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र पर हमले के बाद अब उन्हें नहीं पता कि यूक्रेन वैज्ञानिक अब वहां बने लैब में आ पाएंगे या नहीं. पिछले 40 वर्षों के दौरान वहां वन्यजीवों के लिए स्थल बन गया था लेकिन जब लोग वहां से चले गए तो वहुत सी दुर्लभ प्रजातियां भी चली गई. अब हमें यह पता नहीं कि इन वन्यजीवों पर इसका क्या असर पड़ेगा.