धर्म - अध्यात्म
नारदपुराणः इनसे बचना चाहिए, इन 4 कामों को कहा गया है महापाप
नारदपुराण धर्म ग्रंथों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें भगवान की कई लीलाओं और ज्ञान का वर्णन मिलता है। नारदपुराण में मनुष्य जीवन से जुड़ी हुई कई बातों के बारे में बताया गया है। जिनका ध्यान सभी को रखना ही चाहिए। नारदपुराण में चार ऐसे कामों से बारे में बताया है, जिनको महापाप माना जाता है। इन कामों को करने के मनुष्य को निश्चित ही कई दुःखों का सामना करना पड़ता है।
1. गुरुपत्नी के साथ संबंध बनाना
गुरु मनुष्य को अच्छे-बुरे का ज्ञान देता है। गुरु को पिता के समान और गुरुपत्नी को माता के समान मानना चाहिए। गुरुपत्नी के साथ संबंध रखने वाले या गुरुपत्नी को बुरी नजर से देखने वाले मनुष्य को ब्रह्म हत्या से भी बड़ा पाप लगता है। गुरुपत्नी के साथ समागम करने वाले मनुष्य के पापों का प्रायश्चित किसी भी तरह संभव नहीं होता है। ऐसे मनुष्य को जयंती नामक नरक में उनके पापों की सजा मिलती है।
2. चोरी करना
जो मनुष्य दूसरों की वस्तु हड़पने या चुराने का प्रयास करता है, वह महापापी माना जाता है। किसी और की वस्तु को छल से पाने या चुराने से मनुष्य के जीवन के सभी पुण्यकर्म नष्ट हो जाते है। चोरी की हुआ वस्तु से कभी भी लाभ नहीं मिलता, बल्कि उसकी वजह से नुकसान का ही सामना करना पड़ता है। चोरी करने पर उसके साथ-साथ उसके मित्रों और परिवार को भी कई बार परेशानि का सामना करना पड़ जाता है। चोरी करने वाले मनुष्य या ऐसे काम में साथ देने वाले मनुष्य को तामिस्र नामक नरक में दुःख भोगना पड़ते है। मनुष्य को कभी भी यह महापाप नहीं करना चाहिए।
3. शराब पीना
नारदपुराण में शराब के तीन प्रकार बताए गए है- गौड़ी (गुड़ से बनाई गई), पैष्टी (चावल आदी के आटे से बनाई गई), माध्वी (फूल, अंगूर आदी के रस से बनाई गई)। स्त्री हो या पुरुष सभी को इन सभी तरह की शराबों से दूर रहना चाहिए। किसी भी प्रकार की शराब पीने से मनुष्य महापाप का भागी बन जाता है। ऐसे मनुष्य पर भगवान कभी प्रसन्न नहीं होते और उसे हमेशा परेशानियों का सामना करना ही पड़ता है। शराब पीने और पिलाने वाला मनुष्य को विलेपक नाम के नरक में कई यातनाएं दी जाती हैं। मनुष्य को भूलकर भी शराब नहीं पीना चाहिए।]
4. ब्राह्मण की हत्या
ब्राह्मण भगवान ब्रह्मा के मुख से उत्पन्न हुए हैं। पुराणों में ब्राह्मणों को सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है। ब्राह्मणों को पूजा करने के योग्य माना जाता है। अगर कोई मनुष्य जान कर या भूल से किसी ब्राह्मण की हत्या कर देता है, तो उसे ब्रह्म हत्या का पाप लगता है। यह महापाप माना जाता है। ऐसा कर्म करने वाले मनुष्य को जीवनभर दुःखों का सामना करना पड़ता है। सिर्फ ब्रह्म हत्या करने वाला ही नहीं बल्कि ऐसे काम में साथ देना वाले मनुष्य को भी कुंभीपाक नाम के नरक की यातना सहनी पड़ती है। इसलिए मनुष्य को भूलकर भी ब्रह्म हत्या में भाग नहीं लेना चाहिए।