शिक्षा - रोज़गार

नव वर्ष के आगमन पर

नव अंकुर सी प्रस्फुटित लालिमा लिये भानु की किरणों का आगमन और किसी नये द्वारा पर पर्दापण होना, जाहिर है मन को प्रफुल्लित करता हैं और अतीत में लिपटा वो सन्ताप कुछ दबा दबा सा लगता है। पियराली सी धरती है।
ठंडी -ठंडी सी वायु मन को आह्लादित करती है, पर पिछले वर्ष जो कोरोना का कहर हम झेल चुके है।
कुछ अपनों को खो चुके है और कुछ तो बच कर उस कहर से बाहर निकले आये हैं।
प्रकृति से रिश्ता जोड़ते हुए हमें एक वृक्ष इस दो हजार 2022 की सुबह लगाना होगा ।
व प्रकृति से जुड़ना होगा।
आइये फिर बढ़ते है नये पगडंडियों की ओर सामाजिक दूरी के साथ ।
भर-भर के नव उमंग, फिर आई है।
आंचल में सपने, देखों चली पुरवाई है।
अलका अस्थाना ’अमृतमयी’

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