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डोप मामले में मोदी ने किया हस्तक्षेप, विरोधी सुशील भी ‘भाई’ नरसिंह के सपोर्ट में

नई दिल्ली. डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए नरसिंह यादव के मामले में पीएम ने हस्क्षेप किया है। नरेंद्र मोदी ने भारतीय कुश्ती संघ के मुखिया से इस मामले की डिटेल मांगी है। बता दें कि रेसलर ने अपने खिलाफ साजिश का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। इस बीच, ओलिंपिक में नरसिंह के जाने का विरोध कर चुके सुशील कुमार ने भी अब रेसलर को सपोर्ट किया है। नरसिंह को अपना छोटा भाई बताया है। नरसिंह का रूममेट भी डोप टेस्ट में फेल, संघ को भी साजिश का शक…
– नरसिंह के बाद एक और इंडियन रेसलर संदीप तुलसी यादव भी डोपिंग टेस्ट में फेल हो गए हैं।
– 2013 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडेल जीत चुके संदीप नरसिंह के रूम पार्टनर हैं।
– उनके शरीर में भी वही ड्रग्स पाए गए जो नरसिंह के शरीर से मिले थे।
संघ ने कहा- एक महीने में तीन बार डोप टेस्ट संदेह पैदा करता है
सुशील ने कहा,”नरसिंह मेरे छोटे भाई जैसा है। मैं उसके साथ खड़ा हूं।”
– दो पदक लाने के बाद मन था कि मैं तीसरा मदद लाऊं।
पिछले एक महीने से ओलंपिक की तैयारियों से दूर हूं। अब साथी पहलवानों को सपोर्ट करता हूं कि वे मेडल लाएं।
– सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेस में कुश्ती संघ के प्रेसिडेंट बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, ”अगर उसने जानबूझ कर ड्रग्स लिया होता तो वो स्पेन में टूर्नामेंट खेलने नहीं जाता। स्पेन के टूर्नामेंट से भी वो मेडल लेकर आया।”
– ”एक महीने में तीन बार किसी खिलाड़ी का डोप टेस्ट होना संदेह पैदा करता है।”
– ”नरसिंह के साथ उनके रूम पार्टनर संदीप तुलसी यादव के शरीर में भी वही सब पाया गया जो नरसिंह के शरीर में।”
– इस साजिश में सोनिपत साई कैम्प की एक महिला के शामिल होने का शक है।
सोनिपत में हमले का था इनपुट
– नरसिंह पर सोनीपत में हमला होने का इनपुट सिक्युरिटी एजेंसीज के पास पहले से था।
– सीआईडी ने इसकी रिपोर्ट आईजी सीआईडी चंडीगढ़ को भी भेज दी थी।
– नरसिंह पर खतरे को देखते हुए नेशनल कैम्प को कहीं और शिफ्ट करने की भी सिफारिश की गई थी।
– सीआईडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि रियो ओलिंपिक जाने को लेकर नरसिंह और सुशील कुमार के बीच चल रहे विवाद का फायदा बाहरी लोग उठा सकते हैं।
– इस बारे में नरसिंह को भी जानकारी दी गई थी और उन्हें कहीं और प्रेक्टिस करने का भी सुझाव दिया गया था।
– लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया था।
रियो नहीं जाएगा दूसरा प्लेयर
नरसिंह की जगह किसी दूसरे प्लयेर को रियो ओलिंपिक भेजने की बात पर सिंह ने कहा, ”खिलाड़ी के नाम बदलने की अंतिम तारीख 18 थी जो बीत चुकी है।”
– ‘फेडरेशन का मानना है कि नरसिंह के साथ नाइंसाफी हुई है। मेरी कोशिश है कि नरसिंह यादव ही भारत का प्रतिनिधित्व नरसिंह यादव ही करें।”
– ”बुधवार को नाडा की अंतिम सुनवाई है। हमारा मानना है कि गुरुवार को इसका पूरा जजमेंट आ जाएगा।”
– फेडरेशन नरसिंह का इतना ज्यादा सपोर्ट क्यों कर रहा है? इस सवाल के जवाब में सिंह ने कहा, ”अपने खिलाड़ी को प्रोटेक्शन देना फेडरेशन का काम है।”
– ”नरसिंह यादव का जो रिकॉर्ड है कम से कम 50 नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेल चुका है। वो हमेशा डोप टेस्ट के लिए तैयार रहता है।”
– ”उस पर कभी कोई दाग नहीं लगा।”
डोप टेस्ट में फेल नरसिंह बोले-मैं साजिश का शिकार
– रविवार को डोप टेस्ट में फेल होने के बाद नरसिंह ने कहा था, ‘मेरे खिलाफ साजिश हुई है।‘
– ‘मैं कोई बैन सब्सटेंस (दवा) ले ही नहीं सकता। मुझे यकीन है कि सच जल्दी बाहर आ जाएगा।’
– बता दें कि यादव को सुशील कुमार की जगह चुना गया था।
– उन्होंने 74 KG वेट में सुशील कुमार को बाउट के लिए चैलेंज भी किया था।
वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज जीतकर किया था क्वालिफाई
– नरसिंह ने 2015 में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज जीतकर ओलिंपिक कोटा हासिल किया था।
– इस वजह से उन्हें ओलिंपिक में इंडिविजुअल गेम में लगातार दो मेडल (बीजिंग-2008 में ब्रॉन्ज, लंदन-2012 में सिल्वर मेडल) जीतने वाले पहले इंडियन सुशील कुमार की जगह टीम में शामिल किया गया था।
नहीं मिला एक्रीडिएशन कार्ड, लिस्ट से नाम भी गायब
– रिपोर्ट्स के मुताबिक, 5 जुलाई को नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) ने सोनीपत में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सेंटर में पहलवानों का डोप टेस्ट किया था।
– रिपोर्ट में एक पहलवान फेल हो गया। इसका खुलासा तब हुआ जब एक कुश्ती कोच ओलिंपिक के एक्रेडिटेशन कार्ड लेने आईओए दफ्तर गए।
– उन्हें बाकी पहलवानों के कार्ड दे दिए गए, लेकिन नरसिंह का कार्ड नहीं दिया गया। यही नहीं, उन्हें इसका कारण भी नहीं बताया गया।
– दूसरी ओर, सोमवार को जॉर्जिया जा रहे भारतीय पहलवानों के दल से भी उनका नाम हटा दिया गया है।
– वे अब जॉर्जिया भी नहीं जा रहे हैं जहां ओलिंपिक से पहले भारतीय पुरुष पहलवानों को रियो के लिए तैयारी करनी थी।
– एक्रीडिएशन कार्ड के मामले में नरसिंह ने कहा- मुझे ऐसी कोई सूचना नहीं है।
1968 में पहली बार हुई थी फजीहत
– भारत में डोपिंग को लेकर बड़ा खुलासा 1968 के मैक्सिको ओलिंपिक के ट्रायल के दौरान हुआ था, जब दिल्ली के रेलवे स्टेडियम में कृपाल सिंह 10 हजार मीटर दौड़ में भागते समय ट्रैक छोड़कर सीढ़ियों पर चढ़ गए थे।
– उस दौरान कृपाल सिंह के मुंह से झाग निकलने लगा था और वे बेहोश हो गए थे।
– जांच में पता चला कि कृपाल ने नशीले पदार्थ ले रखे थे, ताकि मैक्सिको ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर पाएं।
– इसके बाद तो फिर डोपिंग के कई मामले सामने आए।

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