उत्तराखंड

झूठी ऐफ आई आर से बचने के उपाय

स. सम्पादक शिवाकान्त पाठक

 

जब भी आपको पता चले की आपके खिलाफ कोई fake fir रजिस्टर्ड हुई है तभी आप भी उस व्यक्ति के खिलाफ अपनी शिकायत पुलिस को दे दे | जरूरी नही की आपकी FIR रजिस्टर्ड हो लेकिन ये आपके कोर्ट में बचाव के लिए जरूरी है और कल को आप इस शिकायत के आधार पर सामने वाली पार्टी के खिलाफ कोर्ट में भी जा सकते है

अपने खिलाफ दी गई शिकायत / fake fir के विरुद्ध आप उच्च पुलिस अधिकारी को भी लिखे ताकि कल को कोर्ट में गवाही और बहस के दौरान ये कहा जा सके की आपने तो पुलिस को सच्ची बताई थी लेकिन पुलिस ने ध्यान नही दिया और प्रॉपर इन्वेस्टीगेशन नही की |

जो भी सुचना या शिकायत किसी की पुलिस पदाधिकारी को दे तो उसकी रिसीविंग जरुर ले | बिना इसके आपकी सुचना की कोई अहमियत नही है |

हो सके तो अप अपनी शिकायत की शुरुआत 112 नंबर से कॉल करके भी कर सकते है | पुलिस को 112 नंबर पर काल भी एक प्रकार की लिखित शिकायत जैसी ही है | इसका रिकॉर्ड पुलिस काल सेंटर और आपके नजदीकी पुलिस स्टेशन के रजिस्टर्ड में दोनों जगह मिल जाएगा |

अगर आप जेल में है तो आप जेल से भी शिकायत दे सकते है या फिर अपने वकील साहब के द्वारा या फिर आप के कोई परिजन भी आपकी तरफ से पुलिस को शिकायत दे सकते है |

आप जो भी शिकायत दे तो उसमे अपनी बेगुनाही के सबूत जैसे कि ऑडियो रिकॉर्डिग, वीडियो रिकॉर्डिग, फोटोग्राफ्स, डॉक्यूमेन्टस या फिर बेगुनाही की बाते जरुर लिखे | कल को कोर्ट में ये सबूत के तौर पर आपके काम आएगी | उस समय हम ऐसा कहेंगे की हमने तो पुलिस को अपनी बेगुनाही के सबूत दिए थे लेकिन पुलिस ने ही उनको दरकिनार करके साफ इन्वेस्टीगेशन नही की और झूठा केस बना दिया |

अगर कोई गवाह आपके पास है तो उसका जिक्र भी उसमे करे | इसके अलावा आपने गवाह के द्वारा भी पुलिस को सुचना रिपोर्ट करवा सकते है | ये सुचना या शिकायत आप by पोस्ट भी भेज सकते है |

आप जो आरोप लगे है अगर उस समय आप वहा नही थे और आपके साथ आपका मोबाइल भी था तो आप कोर्ट में आवेदन करके अपने मोबाइल लोकेशन मगाए | इससे अपनी बेगुनाही का सबूत भी बन जाएगा |

अगर आपकी शिकायत पर सामने वाली पार्टी पर पुलिस कोई एक्शन नही ले आप कोर्ट में धारा 156 (3) CRPC में FIR करवाने के लिए जा सकते है | इससे सामने वाली पार्टी पर दबाव बनता है |

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 482 के तहत आप अपने खिलाफ लिखाई गई fake fir को चैलेन्ज करते हुए हाईकोर्ट से निष्पक्ष न्याय की मांग कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने वकील के माध्यम से हाई कोर्ट में एक प्रार्थनापत्र देना होता है जिसमें आप पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर प्रश्नचिन्ह लगा सकते हैं। यदि आपके पास अपनी बेगुनाही के सबूत जैसे कि ऑडियो रिकॉर्डिग, वीडियो रिकॉर्डिग, फोटोग्राफ्स, डॉक्यूमेन्टस हो तो आप उनको अपने प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न करें। ऎसा करने से हाई कोर्ट में आपका केस मजबूत हो बन जाता है और आपके खिलाफ दर्ज एफआईआर कैंसिल होने के आसार मजबूत हो जाते हैं।

बैल का विशेष ध्यान रखे हो सके तो सभी सबूतों के साथ कोर्ट से अग्रिम जमानत ले | जेल जाने से बचे |

अगर पुलिस ने आपको झूठा फसाया है तो उन पुलिस वाले की उससे उच्च अधिकारी से शिकायत करे | शिकायत पर कार्यवाही हो या नही लेकिन आपके पास एक सबूत हो जाता है की आपने तो उसकी शिकायत भी की थी लेकिन स्टाफ का समझ कर किसी ने सुनी नही | कल को कोर्ट में उस पुलिस वाले से गवाही के समय सवाल करते हुये ये रिपोर्ट काम आएगी | और गवाही के समय में पुलिस की ढीली व्यवस्था और साफ पुलिस इन्वेस्टीगेशन नही होने को दर्शाएगी |

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