अंतराष्ट्रीय

. जनरल रानी और पाकिस्तान के उस अय्याश राष्ट्रपति की कहानी

पाकिस्‍तान के तीसरे आर्मी चीफ जनरल याह्या खान ने पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में सेना को खुलेआम कत्लेआम का ऑर्डर दे दिया था। याह्या ने खुलेतौर पर कह दिया था कि पूर्वी पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को साथ बंगाली बुद्धिजीवियों और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमले किए जाएं। इतना ही नहीं, माना जाता है कि जनरल याह्या खान की अय्याशी की वजह से ही पाकिस्तान को 1971 के युद्ध में इतनी करारी हार का मुंह देखना पड़ा था। उस दौरान पाकिस्तान हालात ऐसे थे कि वहां जनरल रानी कही जाने वाली अकलीम अख्तर का जलवा याह्या खान से ज्यादा था।

अविभाजित भारत की ओर से ग्रेट ब्रिटेन के लिए याह्या खान ने दूसरे विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया था। इसके बाद जब देश का बंटवारा हुआ तो याह्या खान ने पाकिस्तान में रहने का फैसला किया। याह्ना ने पाकिस्तान के तानाशाह अयूब खान से सत्ता हथिया कर देश में किया था और साल 1969 में पूरे देश में मार्शल ला लगा दिया था। इसके एक साल के बाद 1970 में पूर्वी पाकिस्तान के चुनावों में शेख मुजीब रहमान को बड़ी जीत मिलने के बावजूद याह्या ने उन्हें सत्ता नहीं सौंपी और जेल में डाल दिया। इसी के बाद पूर्वी पाकिस्तान में हालात बिगड़ने लगे और फिर बांग्लादेश को भारत ने पाकिस्तान से आजादी दिला दी। इसके बाद पाकिस्तान के चुनावों में याह्या को हार का मुंह देखना पड़ा।

याह्या खान की माशुका कही जाने वाली जनरल रानी उर्फ अकलीम अख्तर को लेकर कहा जाता था कि वह पूरे पाकिस्तान को अपनी उंगलियों के इशारों पर नचाती है। 1969 से लेकर 1971 के बीच उसे पाकिस्तान की सबसे ताकतवर महिला माना जाता था। कहा जाता है कि पाकिस्तान के किसी भी विभाग से जुड़ा कोई भी काम किसी भी आला अफसर को कराना होता था तो वह जनरल रानी से संपर्क करता था। इतना ही नहीं, पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जनरल याह्या को राजनीति से जुड़ी सलाहें भी वही देती थी और याह्ना उसे मान भी लेते थे। मार्शल लॉ लागू करने से लेकर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचारों तक में जनरल रानी की ही सलाह थी।
याह्या को भारतीय सेना से ज्यादा बंगाल की मुक्तिवाहिनी से डर लगता था। दरअसल उसे लगता था कि अगर वह भारतीय सेना के हाथ लगा तो वह उसे जीवनदान भी दे सकती है, लेकिन मुक्तिवाहिनी किसी हालत में उसे जिंदा नहीं छोड़ेगी क्योंकि उसके राज में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान की हजारों-लाखों महिलाओं का रेप हुआ था। बांग्लादेश की आजादी के बाद पूरे बांग्लादेश में रेड क्रॉस ने अबॉर्शन कैम्प लगाए और लगभग 25 हजार महिलाओं का अबॉर्शन किया गया।

 

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