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चीन सीमा विवाद पर भारत मजबूत?

चंडीगढ़। मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल एमएलएफ-2020 में लद्दाख में हुए टकराव पर चर्चा की गई। पैनल चर्चा का संचालन  रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने किया, जबकि  रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग,  रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला, रिटायर्ड सैन्य मनमोहन बहादुर, रिटायर्ड  ब्रिगेडियर नवीन महाजन, रिटायर्ड  ब्रिगेडियर गौरव मिश्रा और संघ प्रचारक राम माधव ने भी हिस्सा लिया और अपने विचार साझा किए।

उन्होंने कहा कि इस चर्चा में वे यह देखते हैं कि भारत और चीन दोनों ने अब तक क्या कार्रवाई की है, चीन के इरादे क्या हैं और क्या हम इससे बेहतर कदम उठा सकते थे बजाय इस पर गौर करने के कि हमने इससे क्या सबक लिया है। उन्होंने कहा कि चर्चा का ध्यान वर्तमान स्थिति पर केंद्रित करना है कि क्या इस स्थिति से आगे बढ़ने का कोई रास्ता है या फिर यह गतिरोध इसी तरह बना रहेगा? क्या यह ऐसी स्थिति है, जो हमें अगले कुछ महीनों और आने वाले वर्षों में देखने को मिलेगी क्योंकि सीमा दोनों ओर हजारों सैनिक खड़े हैं या फिर बातचीत के जरिये इसका कोई हल निकलने की संभावना है।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने कहा  चीन ने पूर्वी लद्दाख में इस ऑपरेशन को क्यों शुरू किया और ऐसा करने के पीछे संभावित मकसद हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल एक क्षेत्रीय मुद्दा था, लेकिन भारत की क्षेत्रीय स्थिति को कम करने और इसके बुनियादी ढांचे को रोकने आदि का मुद्दा था।

रिटायर्ड ब्रिगेडियर नवीन महाजन ने पाक-चीन की मिलीभगत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच एक लंबे समय से दोस्ती चली आ रही हैं, जो वर्षों से मजबूत हो रही है।

एवीएम मनमोहन बहादुर ने बातचीत में गतिरोध पर बात की। उन्होंने कहा कि चीन की चार-पांच सिद्धांत हैं जिनमें सक्रिय रक्षा नीति, पॉजिशनिंग, शोर करना यानी टकराव, पैनल चर्चा को दिया गया नाम। उन्होंने यह भी सवाल किया कि यह क्या गतिरोध वास्तविक है या चीन अपनी वायु रक्षा क्षमताओं के निर्माण के लिए समय ले रहा है।

लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला ने कहा कि चीन की रणनीतिक सैन्य कार्रवाइयों से हमारे रणनीतिक दृष्टिकोण और राष्ट्रीय सुरक्षा समझ में विचारों की फिर से कल्पना की जरूरत है, यदि हमें आवश्यक उद्देश्य और स्टीकता से चुनौती से निपटना है।

राम माधव ने उचित शिष्टाचार के साथ चीन को जवाब देने और कूटनीतिक स्तर पर उन्हें ठीक से जवाब देने के लिए भारत की सराहना करते हुए कहा कि इससे निश्चित रूप से अच्छे नतीजे आएगें और भारत को अपने विकल्प खुले रखने चाहिए।

 

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