चीन-भूटान सीमा विवाद पर समझौता, भारत की ‘सतर्क निगाह’

बीजिंग . भूटान और चीन ने बृहस्पतिवार को सीमा विवाद सुलझाने के लिए समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते के तहत दोनों देश एक रोड मैप के तहत सीमा विवाद सुलझाने की कोशिश करेंगे. भारत ने इस मसले पर बेहद ‘सतर्क’ प्रतिक्रिया दी है.
भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोर्जी और चीन के उप विदेश मंत्री वू जिनांघो ने इस समझौता पत्र पर हस्ताक्षर एक वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान किए. कार्यक्रम में चीन के भारत में राजदूत सुन वेईडॉन्ग और भूटान के भारत में दूत मेजर जनरल वेटसोप नामग्येल भी मौजूद थे.
प्रेस से बातचीत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है-‘चीन और भूटान के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया जाना हमारी जानकारी में है. आप जानते हैं कि भूटान और चीन सीमाओं को 1984 से वार्ता आयोजित कर रहे हैं. इसी तरह भारत भी चीन के साथ सीमा को लेकर वार्ता कर रहा है.’ हालांकि बागची ने इस बात का जवाब नहीं दिया कि भूटान ने इस समझौता पत्र पर हस्ताक्षर से पहले भारत को जानकारी दी थी या नहीं.
दोनों देशों में बेहद नजदीकी संबंधों को देखते हुए यह माना जा रहा है भूटान ने भारत को इस फैसले की जानकारी जरूर दी होगी.एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस मसले पर भारत की ‘सतर्क’ प्रतिक्रिया समझने योग्य है क्योंकि इस वक्त भारत खुद चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा विवाद में उलझा हुआ है. लेकिन भारत की निगाह चीन के हर कदम पर बनी हुई है.
दरअसल ये समझौता चीन और भारत के बीच डोकलाम में हुए विवाद के करीब चार साल बाद हुआ है. 2017 के जून महीने में चीनी सेना ने इस इलाके में सड़क निर्माण शुरू कर दिया. भूटान की तरफ मदद का हाथ बढ़ाते हुए भारतीय सेना डोकलाम तक पहुंच गई और उसने सड़क निर्माण कार्य रोक दिया. इसके बाद 73 दिनों तक दोनों देशों की सेनाएं उसी स्थिति में तैनात रहीं. राजनयिक बातचीत के बाद अगस्त में गतिरोध तो समाप्त हो गया लेकिन दोनों देशों के रिश्तों में ठंडापन आ गया.