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घूसखोरी को मिलेगा बढ़ावा, IMA ने क्लीनिकल एक्ट का किया विरोध, कहा- महंगाई
गोरखपुर. आईएमए, आईडीए और नीमा ने क्लीनिकल स्टेबलिसमेंट रजिस्ट्रेशन एवं रेग्युलेशन एक्ट जनविरोधी और कॉरपोरेट फ्रेंडली है। गवर्नमेंट को इसे जल्द वापस ले लेना चाहिए। संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि यह एक्ट भ्रष्टाचार, महंगाई और घूसखोरी को बढ़ावा देने के साथ ही इंस्पेक्टरराज को भी बढ़ावा देने वाला है। संगठनों ने इस एक्ट के विरोध में ऑल इंडिया लेवल पर 30 जुलाई को प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। उसी दिन सीएम को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा जाएगा।
आईएमए, आईडीए और नीमा के पदाधिकारी डॉ. डीके सिंह, डॉ. वीरेंद्र गुप्ता, डॉ. बीएन भाटिया, डॉ. आरएन सिंह, डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, डॉ. योगिता भाटिया, डॉ. चेन क्वोई, डॉ. जेएन शुक्ला और डॉ. एएन शर्मा ने कहा है कि सीईए ब्यूरोक्रेसी की हनक है। इस एक्ट के प्रभावी होने के बाद 75 फीसदी क्लीनिक बंद हो जाएंगे।
डॉक्टरों ने कहा कि क्लीनिक महंगी हो जाएगी, जिससे गरीब इलाज के अभाव में मरने लगेगा। इसका कारण यह है कि क्लीनिक स्टैबलिसमेंट चार्ज भी मरीजों से वसूल किया जाएगा। फ्री हेल्थ चेकअप कैंप नहीं लग सकेंगे। डॉक्टरों ने कहा कि एक्ट का जो मानक है वह ठीक नहीं है। सिर्फ एक मानक को ले लें जैसे कि 5 बेड पर एक नर्स का होना अनिवार्य है।
WHO की रिपोर्ट है कि 24 लाख नर्स, ढाई लाख पैरा मेडिकल स्टाफ, छह लाख डॉक्टर्स और दो लाख डेंटल सर्जन की कमी है। ऐसे में इस एक्ट के मानक को कैसे पूरा किया जाएगा। इसके अलावा 36 विभागों से क्लीनिक चलाने के लिए एनओसी लेना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला है। डॉक्टरों ने कहा कि 30 जुलाई को चेतना तिराहे पर धरना-प्रदर्शन होगा। इसके बाद ग्रुप में लोग डीएम कार्यालय पहुंचेंगे और सीएम अखिलेश यादव को संबोधित ज्ञापन सौंपेंगे।
फोटो: क्लीनिकल एक्ट के साइड इफेक्ट के बारे में जानकारी देते IMA के अधिकारी।