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गवर्नर ने दिलाई शपथ, इलाहाबाद हाईकोर्ट के नए चीफ जस्टिस बने डी.बी. भोसले
इलाहाबाद.जस्टिस दिलीप बाबा साहेब भोसले (डी.बी. भोसले) ने 30 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पद की शपथ ली। राज्यपाल राम नाईक 9 बजकर 10 मिनट पर यहां पहुंचे और शपथ ग्रहण का कार्यक्रम सुबह 10 बजे शुरू हुुआ। उन्होंने नए चीफ जस्टिस को शपथ दिलाई। इस अवसर पर हाईकोर्ट के सभी न्यायाधीश, अधिकारी, अधिवक्ता और कर्मचारी उपस्थित रहे। जस्टिस वीके शुक्ला थे एक्टिंग चीफ जस्टिस…
– दरअसल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के बाद से वहां जस्टिस वीके शुक्ला एक्टिंग चीफ जस्टिस के रूप में यह जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
– केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश पर इस पद के लिए जस्टिस डीबी भोसले के नाम पर मुहर लगा दी।
– जस्टिस भोसले बाम्बे हाईकोर्ट के जज रहे बाद में तबादला हो जाने के बाद वह आंंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस थे।
29 जुलाई को पहुंचे इलाहाबाद
– चीफ जस्टिस भोसले 29 जुलाई को दोपहर वाराणसी एयरपोर्ट से सड़क मार्ग से इलाहाबाद पहुंच गए थे।
– उनके साथ उनके 108 रिश्तेदारों का बड़ा समूह भी इलाहाबाद उनके शपथ ग्रहण समारोह का साक्षी बनने के लिए पहुंचा था।
– बाम्बे हाईकोर्ट व आन्ध्र प्रदेश हाईकोर्ट व तेलंगाना के कार्यरत न्यायाधीशों के अलावा बड़ी संख्या में बाम्बे हाईकोर्ट के अधिवक्ता आए थे।
– इनमें कई ऐसे अधिवक्ता थे जिन्होंने चीफ जस्टिस के साथ हॉस्टल में रहकर पढ़ाई किया था और बाद में इनके साथ बाम्बे हाईकोर्ट में वकालत मेंं रहे।
जस्टिस डीबी भोसले का परिचय
– वे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री बाबासाहब भोसले के बेटे हैं।
– उनका जन्म 24 अक्टूबर 1956 को हुआ।
– उनकी शादी 26 अप्रैल 1982 को श्रीमती अरूंधती से हुआ।
– उनके एक बेटा और एक बेटी हैं। दोनों बच्चे विवाहित हैं और मुम्बई में रहते हैं।
जस्टिस डीबी भोसले का करियर
– उन्होंने अपनी एलएलबी की डिग्री गवर्नमेंट लाॅ कालेज मुम्बई से पास की।
– उसके बाद जून 1980 में इन्होंने वकालत शुरू कर दी। ये बाम्बे हाईकोर्ट में भी वकील रहे।
– 22 जनवरी 2001 को वह बाम्बे हाईकोर्ट में जज नियुक्त हुए।
– 6 जनवरी 2012 को उनका बतौर जज कर्नाटक हाईकोर्ट में तबादला हो गया।
– चीफ जस्टिस भोसले बाम्बे में असिस्टेंट गवर्नमेंट प्लीडर और असिस्टेंट प्रोसीक्यूटर भी रहे।
इलाहाबाद के पूर्व चीफ जस्टिस रहे डीवाई चंद्रचूड़ का परिचय
– जस्टिस चंद्रचूड़ को 13 अक्टूबर 2013 को इलाहाबाद हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था।
– उनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे।
– उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहली ई-कोर्ट शुरु करने का श्रेय जाता है।
– उनकी अगुवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट का डिजिटलाइजेशन शुरू हुआ था।
– लोअर कोर्ट की सुरक्षा की मॉनीटरिंग शुरू कराई।
– न्यायिक अनुशासन के तहत 11 ट्रेनी जज बर्खास्त किए।
– हाईकोर्ट में आए दिन वकीलों की हड़ताल भी रुकवाई।
– उनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे।
– उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहली ई-कोर्ट शुरु करने का श्रेय जाता है।
– उनकी अगुवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट का डिजिटलाइजेशन शुरू हुआ था।
– लोअर कोर्ट की सुरक्षा की मॉनीटरिंग शुरू कराई।
– न्यायिक अनुशासन के तहत 11 ट्रेनी जज बर्खास्त किए।
– हाईकोर्ट में आए दिन वकीलों की हड़ताल भी रुकवाई।
जस्टिस चंद्रचूड़ के अहम फैसले
– जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल में कई अहम फैसले दिए।
– उन्होंने फैसला दिया कि राज्यपाल की नियुक्ति में मुख्यमंत्री से परामर्श जरूरी नहीं है।
– उनके फैसले के बाद मदरसों में तिरंगा फहराया जाने लगा।
– विवाहित पुत्री को भी मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति का अधिकार दिया।
– यूपी में शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने का अहम फैसला सुनाया।
– लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव की नियुक्ति अवैध घोषित की।
– निठारी कांड के मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली की फांसी को उम्रकैद में बदला।
– फैसला दिया कि गंगा नदी में पांच सौ मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं होगा।
– राशन कार्ड के लिए ‘आधार’ कार्ड को गैरजरूरी बताया।
– गर्मियों में भी हाईकोर्ट में कामकाज के लिए पहल की।
– उन्होंने फैसला दिया कि राज्यपाल की नियुक्ति में मुख्यमंत्री से परामर्श जरूरी नहीं है।
– उनके फैसले के बाद मदरसों में तिरंगा फहराया जाने लगा।
– विवाहित पुत्री को भी मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति का अधिकार दिया।
– यूपी में शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने का अहम फैसला सुनाया।
– लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव की नियुक्ति अवैध घोषित की।
– निठारी कांड के मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली की फांसी को उम्रकैद में बदला।
– फैसला दिया कि गंगा नदी में पांच सौ मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं होगा।
– राशन कार्ड के लिए ‘आधार’ कार्ड को गैरजरूरी बताया।
– गर्मियों में भी हाईकोर्ट में कामकाज के लिए पहल की।