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खाने में कुत्ते का मांस देते थे समुद्री लुटेरे, नाइजीरिया से लौटे भारतीय की आपबीती

वाराणसी/लखनऊ.47 दिनों तक समुद्री लुटेरों के चंगुल में रहने के बाद संतोष भारद्वाज बुधवार रात वाराणसी में अपने घर लौट आए। उन्होंने vicharsuchak.com से बातचीत में खौफ के उन 47 दिनों की पूरी कहानी बयां की। उन्होंने बताया कि लुटेरों ने उनके साथ बाकी बंधकों को कुत्ते और बंदर का कच्चा मांस खाने को दिया था। मांस खाने से मना करने पर उन लोगों को सिर्फ नूडल्स दिया गया। बता दें कि सुषमा स्वराज की पहल के बाद संतोष की वतन वापसी हो सकी है। और क्या बताया समुद्री डाकुओं के बारे में…
– बता दें कि संतोष और उनके चार साथियों को नाइजीरियन शिप पोर्ट से 50 किमी दूर समुद्री लुटेरों के एक गैंग ने 25 मार्च की रात बंधक बना लिया था।
– संतोष एक शिप कंपनी में नौकरी करते थे। उन्हें फॉरेन मिनिस्ट्री और भारत सरकार की हेल्प से छुड़ाया गया है।
– फिरौती की रकम के लिए लुटेरे उन लोगों को किसी सुनसान टापू पर लेकर गए थे।
– संतोष ने बताया कि वे कच्चा मांस खाते थे और कुछ खाने के लिए देने से पहले लुटेरे जादू-टोना जैसी अजीबोगरीब हरकतें किया करते थे।
– हर वक्त ऐसा ही किया करते थे। वे हमारे सामने ही जंगली जानवरों को काट देते थे, हालांकि हम पांच बंधकों की उन्होंने पिटाई नहीं की।
– संतोष ने बाताया कि डाकू लोकल भाषा के अलावा अंग्रेजी में भी बात किया करते थे।
हर पांच दिन में बदल देते थे ठिकाना
– संतोष के मुताबिक, चौबीस घंटे एके 47 लिए दो डाकू हमेशा उन लोगों की निगरानी करते थे।
– घने जंगलों के बीच हर पांच दिन डाकुओं का गिरोह अपना ठिकाना बदल दिया करता था।
– उनके पास सैटलाइट फोन था। वे इसी से बातचीत करते थे।
– संतोष ने बताया कि डाकुओं ने उन लोगों को छोड़ने के बदले कंपनी से कई सौ मिलियन डॉलर की डिमांड की थी।
– उनकी डिमांड भी 30 दिनों में पूरी हो जाती, पर डाकुओं के साथ किसी बात को लेकर मतभेद हो गया था।
इस तरह डाकुओं ने बना लिया था बंधक
– संतोष ने बताया कि 25 मार्च की रात 12:30 बजे नाइजीरियन शिप पोर्ट से 50 किमी दूर था।
– इस दौरान 8 से 10 की संख्या में असलहों से लैस समुद्री डकैतों ने उनके शिप को घेर लिया और फायरिंग शुरू कर दी।
– फायरिंग के आगे शिप के सिक्युरिटी गार्ड टिक नहीं पाए और डकैतों ने शिप पर चढ़कर कैप्टन को अपने कब्जे में ले लिया।
– इस बीच बाक़ी स्टाफ और अफसर समेत संतोष शिप के नीचे इंजन रूम में छिप गए।
– लेकिन डकैतों की धमकी से डरकर कैप्टन ने संतोष समेत पांच अफसरों को अपने कमरे में बुलाया।
– डकैतों ने इनमें से 5 लोगों (संतोष भी) को लाइफ जैकेट पहनाकर एक दूसरी बोट के जरिए किसी सुनसान जंगली टापू पर लेकर चले गए।
– वहां पहले से ही दर्जनों की संख्या में दूसरे समुद्री लुटेरे मौजूद थे।
– संतोष ने बताया कि उन लोगों को खाने में नूडल और मिनरल वाटर दिया जाता था।
– डाकुओं और उनकी कंपनी के बीच एक मीडिएटर था, जिसको उनकी कंपनी ट्रान्स ओशन सिंगापुर प्राइवेट लिमिटेड ने हायर किया था।
– डाकुओं की चंगुल से आजाद होकर संतोष को फिर अपने बीच पाकर उनकी फैमिली और पत्नी काफी खुश हैं।

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