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खतरे में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा !

नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ग्राउंड वाटर काफी नीचे चला गया है. इसके चलते दिल्ली में जमीन धंस रही है. इस बात का खुलासा एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में हुआ. इसमें कहा गया है कि जमीन के अंदर पानी की कमी के कारण दल्ली में जमीन धंस रही है. इससे कई सार्वजनिक स्थानों पर गंभीर खतरा मडरा रहा है. खास कर इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा को इससे ज्यादा ही खतरा हो गया है.

अध्ययन में सैटलाइट डेटा के उपयोग से पता चला है कि दिल्ली का करीब 100 वर्ग किलोमीटर के इलाके में जमीन धंस सकती है. खास बात यह है कि इनमें से 12.5 वर्ग किलोमीटर का इलाका कापसहेड़ा में है. यह क्षेत्र आईजीआई एयरपोर्ट से महज 800 मीटर दूरी पर ही स्थित है. दरअसल, रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन धंसने का दायरा बढ़ रहा है. ऐसे में आईजीआई एयरपोर्ट भी इसके जद में आ जाएगा.

इस अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 से 2016 के बीच प्रति वर्ष 11 सेंटीमीटर की दर से जमीन धंस रही थी. ऐसे में अगले दो वर्षों में करीब-करीब 50% बढ़कर 17 सेंटीमीटर प्रति वर्ष हो गई. रिपोर्ट की मानें तो खतरे वाले इलाकों में एयरपोर्ट के पास कापसहेड़ा का इलाका की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है.

बता दें कि ड्राफ्ट मास्टर प्लान 2041 के मुताबिक, 2031 तक दिल्ली को प्रतिदिन 1,746 मिलियन गैलन पानी की जरूरत होगी. राजधानी में पानी की जरूरत का बड़ा हिस्सा जमीन के अंदर से निकाला जाता है. इस कारण पानी का स्तर तेजी से नीचे भाग रहा है. ऐसे में अनुसंधानकर्ताओं को लगता है कि दिल्ली-गुरुग्राम के बीच 7.5 किलोमीटर की सड़क की खस्ताहाली का जिम्मेदार भी जमीन धंसने की समस्या ही है. यह सड़क पिछले पांच वर्षों में 70 सेंटीमीटर से ज्यादा धंस चुकी है. दिल्ली-एनसीआर में बिजवासन, समलखा, कापसहेड़ा, साध नगर, बिंदापुर और महावीर एन्क्लेव इलाकों पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है. इन इलाकों में जमीन तेजी से धंस रही है.

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