देश में डाक्टरों की राय अलग-अलग बच्चों की वैक्सीन पर

नई दिल्ली। देश में डाक्टरों की राय अलग-अलग बच्चों की वैक्सीन पर। मामले बढ़ने के बीच पीएम मोदी ने 25 दिसंबर को 15 से 18 साल के बच्चों के लिए तीन जनवरी से कोरोना वैक्सीन लगाए जाने का एलान किया। लेकिन एम्स के भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक वरिष्ठ महामारी विज्ञानी और कोरोना वायरस रोधी टीके कोवाक्सिन के वयस्कों व बच्चों के लिए ट्रायल के प्रमुख निरीक्षणकर्ता डा संजय राय ने ट्वीट करके केंद्र के इस फैसले को अवैज्ञानिक बताया है। डा. संजय राय इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं।
बूस्टर शाट के बाद भी लोग संक्रमित
कुछ देशों में बूस्टर शाट मिलने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि बच्चों में संक्रमण की गंभीरता बहुत कम है और आंकड़ों के अनुसार बच्चों में प्रति 10 लाख संक्रमण के मामलों में केवल दो मौत हो रही हैं। उनके मुताबिक बच्चों में टीकाकरण की शुरुआत करके दोनों ही उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पा रही है। अक्तूबर में आई एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उसी महीने एक सीरो सर्वेक्षण से पता चला है कि अब तक लगभग 60 फीसदी बच्चे कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।
कई डाक्टर और विशेषज्ञ ने पीएम के फैसले को सही ठहरा
कुछ डाक्टर और विशेषज्ञ पीएम के इस फैसले को सही ठहरा रहे हैं। नेशनल टेक्निकल एडवायजरी ग्रुप आन इम्यूनाइजशन इन इंडिया (एनटीएजीआई) के प्रमुख डा एन के अरोड़ा ने कहा कि 15-18 वर्ष की आयु के किशोरों को टीकाकरण अभियान में शामिल करने के कई लाभ हैं।
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डा अरोड़ा ने कहा है कि देश में पहले से ही बच्चों के लिए कोवाक्सिन है, परीक्षण में इसकी बहुत अच्छी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया मिली है। वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आईएमए के डाक्टर रवि मलिक ने कहा प्रधानमंत्री ने बिल्कुल सही समय पर बच्चों के लिए वैक्सीन का एलान किया है।