कांग्रेस से टूटते जा रहे राजसी परिवार…
लखनऊ । कांग्रेस हाईकमान ने 2022 के यूपी विस चुनाव के मद्देनजर उधर अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी की और इधर पार्टी की इस लिस्ट में शामिल रहे दल के वरिष्ठ नेता आरपीएन सिंह ने पंजे का साथ छोड़कर कमल का साथ पकड़ लिया, वो भी ऐन विधानसभा चुनाव के ठीक पहले। ऐसे में सत्ता के गलियारे से लेकर सियासत के हर एक गढ़ में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि आखिर कांग्रेस में हो क्या रहा है, एक-एक करके बडे नेता खासकर विभिन्न प्रदेशों व क्षेत्रों के राजघरानों से ताल्लुक रखने वाले पार्टी के खेवनहार रहें क्यों साथ छोड़ते जा रहे हैं। उसमें भी यह बड़ा सवाल है कि ज्यादातर कांग्रेस की विचारधारा से एकदम उलट सिद्धांतों वाले राजनीतिक दल यानी भाजपा के पाले में शामिल होते जा रहे हैं। इस कड़ी में मध्यप्रदेश राजघराने से जुडे रहे कांग्रेस में पार्टी के सबसे बडे युवा चेहरा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सबसे पहले हाथ से किनारा किया और भाजपा में चले गये। बता दें कि इनके पिता माधराव सिंधिया कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे और यही नहीं उनके गांधी परिवार से भी काफी प्रगाढ़ राजनीतिक संबंध भी रहें।
इसके बाद जितिन प्रसाद ने कांग्रेस से अचानक किनारा कर लिया। इनके पिता जितेंद्र प्रसाद का भी राजनीतिक कद पार्टी में काफी बड़ा रहा। लखीमपुर खीरी के धौरहरा स्टेट क्षेत्र से जितिन प्रसाद कांग्रेस से सांसद भी रहे और केंद्र में कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाली। बहरहाल, ज्योतिरादित्य और जितिन प्रसाद के कांग्रेस से जाने के बाद पार्टी से आने-जाने का सिलसिला थोड़ा थमा था कि इधर पूर्वांचल क्षेत्र में कांग्रेस के कद्दावर नेता आपीएन सिंह ने भी दल से किनारा कर लिया और तुरंत ही भाजपा में शामिल हो गये। कुशीनगर के पडरौना स्टेट से ताल्लुक रखने वाले कुंवर आरपीएन सिंह 15वीं लोकसभा में इस क्षेत्र से कांग्रेस के सांसद भी रहे। यही नहीं मनमोहन मंत्रिमंडल में गृह विभाग सहित कई अहम मंत्रालयों का दायित्व भी उन्हें सौंपा गया था। जबकि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में पार्टी हाईकमान ने उन्हें यूपी चुनाव के तहत स्टार प्रचारक के अलावा झारखंड का भी प्रभारी पद दे रखा था। लेकिन इन सबके बावजूद आरपीएन सिंह ऐन मौके पर पार्टी का साथ छोड़कर भाजपा में चले गये। कुछ राजनीतिक जानकारों की मानें तो संभवत: अपनी भविष्यगत राजनीति के तहत कुंवर आरपीएन ने यह पैंतरा खेला है और दूसरे भाजपा भी उन्हें पडरौना क्षेत्र में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ खड़ा कर सकती है। खैर, चर्चा तो यह भी है कि आरपीएन सिंह के ही किसी खास परिवारीजन को वहां से विस चुनाव का टिकट भाजपा दे सकती है और उन्हें केंद्रीय राजनीतिक फलक में किसी और रूप में संतुष्ट कर सकती है। वहीं उपरोक्त सारे राजनीतिक ऊठापटक पर यूपी कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अशोक सिंह का कहना है कि यह एक बड़ा सवाल है कि जिन्हें पार्टी ने हर तरह से मान-सम्मान दिया, आज वो ऐन मौके पर पार्टी का साथ छोड़कर चल दिये। आगे कहा कि जनता-जनार्दन ऐसे राजनीतिक गद्दारों को कभी माफ नहीं करेगी, फिर बोले कि यूपी के 2022 के चुनावी समर में यहां की जनता हमें अपना जनमत देने जा रही है, क्योंकि हम कांगे्रसी विचारधारा की लड़ाई लड़ते हैं न कि कोई राजनीतिक छींटाकशी के चक्कर में पड़ते हैं।