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उत्तराखंड: रावत ने की कैबिनेट मीटिंग, प्रेसिडेंट रूल हटाने का मामला पहुंचा SC
नैनीताल.उत्तराखंड में प्रेसिडेंट रूल हटाने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी। एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच के सामने केंद्र की दलीलें रख दीं। बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को मोदी सरकार को झटका देते हुए राज्य में करीब एक महीने से जारी प्रेसिडेंट रूल को खत्म कर दिया था। अब कांग्रेस लीडर हरीश रावत से विधानसभा में 29 अप्रैल को बहुमत साबित करने को कहा गया है। वहीं, फिर सीएम बनते ही रावत ने कैबिनेट मीटिंग की। 11 फैसले भी लिए। हाईकोर्ट ने कहा- विधायकों ने ‘पाप’ किया…
– उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. एम. जोसेफ की डिवीजन बेंच ने राज्य में आर्टिकल-356 लागने के फैसले पर केंद्र को फटकार लगाई थी।
– बेंच ने कहा था कि प्रेसिडेंट रूल लगाना सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दी गई व्यवस्था के खिलाफ है।
– नौ विधायकों को डिस्क्वॉलिफाई करने के स्पीकर के फैसले को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि उन्हें दल बदलने के ‘संवैधानिक पाप’ की कीमत चुकानी होगी।
– नौ विधायकों को डिस्क्वॉलिफाई करने के स्पीकर के फैसले को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि उन्हें दल बदलने के ‘संवैधानिक पाप’ की कीमत चुकानी होगी।
– कांग्रेस के 9 बागी विधायकों की मेंबरशिप रद्द होने के बाद असेंबली में 62 विधायक हैं। बहुमत के लिए 32 विधायकों की जरूरत होगी।
1# हाईकोर्ट ने क्या कहा?
– बेंच ने कहा, ”18 मार्च को पॉलिटिकल क्राइसेस शुरू होने के बाद 10 दिन के अंदर अार्टिकल-356 लगाना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। इसके ज्यूडिशियल रिव्यू की जरूरत है।”
– जब केंद्र के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक हाईकोर्ट अपना फैसला रोक ले तो बेंच ने कहा कि हम हमारे फैसले पर रोक नहीं लगाएंगे। आप चाहे तो सुप्रीम कोर्ट चले जाएं और स्टे ले आएं।
– जब केंद्र के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक हाईकोर्ट अपना फैसला रोक ले तो बेंच ने कहा कि हम हमारे फैसले पर रोक नहीं लगाएंगे। आप चाहे तो सुप्रीम कोर्ट चले जाएं और स्टे ले आएं।
2# उत्तराखंड में क्यों हुई थी बगावत?
– कांग्रेस के कुछ विधायक सीएम हरीश रावत से नाराज बताए जाते हैं।
– उन्होंने रावत को हटाने की मांग की थी।
– बागियों के गुट की अगुआई कैबिनेट मिनिस्टर हरक सिंह रावत और पूर्व सीएम विजय बहुगुणा कर रहे थे।
– उन्होंने रावत को हटाने की मांग की थी।
– बागियों के गुट की अगुआई कैबिनेट मिनिस्टर हरक सिंह रावत और पूर्व सीएम विजय बहुगुणा कर रहे थे।
3# क्या हैं इस फैसले के मायने? आगे क्या होगा?
(a)हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक, हरीश रावत दोबारा सीएम बहाल हो गए हैं।
(b) उन्हें असेंबली में 29 अप्रैल को बहुमत साबित करने को कहा गया है।
(c)हाईकोर्ट से झटका मिलने के बाद केंद्र को अब सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद है।
(b) उन्हें असेंबली में 29 अप्रैल को बहुमत साबित करने को कहा गया है।
(c)हाईकोर्ट से झटका मिलने के बाद केंद्र को अब सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद है।
4# कांग्रेस के पास क्या हैं ऑप्शंस?
– 71 मेंबर्स की असेंबली में कांग्रेस के 36 में से 9 विधायक बागी हो गए थे। उनके डिस्क्वॉलिफिकेशन को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है।
– बहुमत के लिए अब 62 में से 32 विधायकों की जरूरत होगी।
– रावत का दावा है कि कांग्रेस के 27 विधायकों समेत 3 निर्दलीय, बीएसपी के 2 और यूकेडी (उत्तराखंड क्रांति दल) का एक विधायक उनके साथ है।
– बहुमत के लिए अब 62 में से 32 विधायकों की जरूरत होगी।
– रावत का दावा है कि कांग्रेस के 27 विधायकों समेत 3 निर्दलीय, बीएसपी के 2 और यूकेडी (उत्तराखंड क्रांति दल) का एक विधायक उनके साथ है।
5# बीजेपी को क्या है उम्मीद?
– असेंबली में बीजेपी के 28 मेंबर हैं। इनमें से एक सस्पेंडेड है।
– कांग्रेस के बागी 9 विधायक भी बीजेपी के साथ हैं।
– कांग्रेस के बागी 9 विधायक भी बीजेपी के साथ हैं।
6# हाईकोर्ट में क्यों गया था ये मामला?
– कांग्रेस में बगावत के बाद 18 मार्च को उत्तराखंड असेंबली में बजट का बिल पास कराने के दौरान कॉन्ट्रोवर्सी हुई थी।
– बागी विधायकों का दावा था कि बिल पास नहीं हो सका है और कांग्रेस बहुमत खो चुकी है।
– हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने पहले 28 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने को कहा था। लेकिन 27 मार्च को ही केंद्र ने यहां प्रेसिडेंट रूल लगा दिया।
– कांग्रेस ने फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। बेंच ने 31 मार्च को टेस्ट कराने को कहा। लेकिन केंद्र ने इसके खिलाफ अपील कर दी। तब से हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी।
– बागी विधायकों का दावा था कि बिल पास नहीं हो सका है और कांग्रेस बहुमत खो चुकी है।
– हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने पहले 28 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने को कहा था। लेकिन 27 मार्च को ही केंद्र ने यहां प्रेसिडेंट रूल लगा दिया।
– कांग्रेस ने फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। बेंच ने 31 मार्च को टेस्ट कराने को कहा। लेकिन केंद्र ने इसके खिलाफ अपील कर दी। तब से हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी।
7# क्या ये पहली बार है जब हाईकोर्ट ने प्रेसिडेंट रूल रद्द कर दिया हो?
– नहीं। कई बार हो चुका है। 1993 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी पटवा सरकार को बर्खास्त करने के खिलाफ फैसला सुनाया था। लेकिन तमाम मामलों में फैसला तब आया जब नई सरकारें बन गईं। पहली बार कोर्ट के फैसले के बाद पुरानी सरकार ही फिर सत्ता में आई है।
8# क्या ये फैसला मिसाल बनेगा?
– ऐसे फैसले हो चुके हैं। इसलिए इसे कोई माइलस्टोन डिसीजन नहीं कह सकते। पर नजीर तो जरूर बनेगी।
9# राष्ट्रपति पर भी दबाव बढ़ेगा?
– बिल्कुल। लॉ एक्सपर्ट्स का कहना है कि राष्ट्रपति को सरकार का प्रस्ताव कम से कम एक बार तो वापस करना चाहिए था। एपीजे अब्दुल कलाम अपने वक्त में ऐसा कर चुके थे।
10# सुप्रीम कोर्ट ने अगर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई तो?
– बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए गवर्नर के पास जा सकेगी।
– वहीं, कांग्रेस को 9 विधायकों के डिस्क्वॉलिफाई होने के फैसले के खिलाफ सिंगल जज बेंच के फैसले तक इंतजार करना होगा। उसे अपने विधायकों का एकजुट रखना होगा।