आधार को कोर्ट में ले जाना दुर्भाग्यपूर्ण’,- प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए विपक्ष पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जिस आधार कार्ड ने गरीबों के खातों में पैसे पहुंचाए, जिससे जनधन खाते खुले विपक्ष ने ऐसी योजना को अदालत में घसीटा यह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा, ” जन-धन आधार मोबाइल ट्रिनिट ने लोगों के जीवन में अद्भुत बदलाव किए हैं. इसने हाशिए पर खड़े लोगों को मुख्य धारा से जोड़ा है. मुझे बहुत दुख है कि लोग इस आधार को अदालत तक ले गए.” प्राधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसी आधार के चलते ही हम हर गरीब के खाते में डायरेक्ट पैसा भेज पाए. इस तरह की योजना जो गरीबों के मदद के लिए हो उसको अदालत तक ले जाना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.
साल 2018 में पहली बार दी गई थी चुनौती – साल 2012 में पहली बार आधार कार्ड को अदालत में चुनौती दी गई थी और इसे निजता पर हमला बताया गया था. हालांकि बाद में 2018 में अदालत ने इसे वैधानिक करार दे दिया था. अदालत ने तब कहा था कि सामाजिक कल्याण योजनाओं तक पहुंचने के लिए आधार की आवश्यकता होगी, लेकिन नागरिकों को बैंक खाते खोलने और मोबाइल और इंटरनेट कनेक्शन प्राप्त करने के लिए आधार देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है.
कोर्ट ने बरकरार रखी थी वैधता – 2016 में सरकार ने संसद में आधार अधिनियम पेश किया. अधिनियम की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर चुनौती दी गई थी. 2018 में, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने आधार की वैधता को बरकरार रखते हुए निजता को एक मौलिक अधिकार बताया था, जिसमें कहा गया था कि यह वंचितों और गरीबों के “बड़े जनहित” को पूरा करने के लिए कारगर साबित होगा.