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अब लखनऊ में खुलेगा देश का दूसरा भोजपुरी स्टडी सेंटर BHU के बाद
लखनऊ. बीएचयू के बाद अब डॉ शकुंतला मिश्रा नेशनल रिहैबिलिटेशन यूनिवर्सिटी में भी भोजपुरी स्टडीज उपलब्ध होंगी। इस एकेडेमिक सेशन से यह नया सिलेबस शुरू हो जाएगा। DSMRU भोजपुरी साहित्य की शिक्षा देने वाली देश की दूसरी यूनिवर्सिटी होगी। भोजपुरी कल्चर का होगा प्रमोशन…
– इस सेंटर पर भोजपुरी लिट्रेचर और लैंग्वेज के प्रमोशन के साथ ही बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ में फैले भोजपुरी कल्चर और सिविलाइजेशन के बारे में जानकारी दी जाएगी।
– सेंटर पर अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और डॉक्ट्रल कोर्स अवेलेबल होंगे।
– सेंटर पर अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और डॉक्ट्रल कोर्स अवेलेबल होंगे।
यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर निशित राय ने दी डीटेल्स
– भोजपुरी देश की बड़ी जनसंख्या के लिए अहमियत रखती है और इंटरनेशनल लेवल पर भी यह पॉपुलर है।
– भोजपुरी रीजन नॉर्थ इंडिया की लाइफ लाइन रहा है।
– रीजनल भोजपुरी लाइफ के एग्रिकल्चर, लाइफस्टाइल और कल्चरल प्रोफाइल की स्टडी प्रैक्टिकली इंपॉर्टेंट है।
– भोजपुरी रीजन नॉर्थ इंडिया की लाइफ लाइन रहा है।
– रीजनल भोजपुरी लाइफ के एग्रिकल्चर, लाइफस्टाइल और कल्चरल प्रोफाइल की स्टडी प्रैक्टिकली इंपॉर्टेंट है।
कल्चर म्यूजियम भी बनेगा
– इस स्टडी सेंटर में एकेडेमिक एक्टीविटीज के अलावा पुरानी मनुस्मृतियों और आर्ट फॉर्म को सहेजता कल्चरल म्यूजियम भी शामिल होगा।
– सेंटर पर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और फिल्म प्रॉडक्शन की ट्रेनिंग दी जाएगी।
– सेंटर को जल्द से जल्द फंक्शनल करने के लिए एक्सपर्ट्स की कमेटी गठित की जाएगी।
– सेंटर पर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और फिल्म प्रॉडक्शन की ट्रेनिंग दी जाएगी।
– सेंटर को जल्द से जल्द फंक्शनल करने के लिए एक्सपर्ट्स की कमेटी गठित की जाएगी।
विदेशों में भी हैं भोजपुरीफैन्स
– यूनिवर्सिटी के एकेडेमिक एड्वाइजर एपी तिवारी ने बताया कि भोजपुरी सिर्फ इंडिया में ही पॉपुलर नहीं है।
– उन्होंने बताया कि अमेरिका और यूके के अलावा मॉरिशस, सुरिनाम, त्रिनिदाद और फिजी में भी भोजपुरी मशहूर है।
– भोजपुरी कल्चर के लोग अमीर व्यापारी, सफल ब्यूरोक्रेट, गरीब लेबर या दुकानदार जरूर हैं, लेकिन उनकी भाषा एक है।
– उन्होंने बताया कि अमेरिका और यूके के अलावा मॉरिशस, सुरिनाम, त्रिनिदाद और फिजी में भी भोजपुरी मशहूर है।
– भोजपुरी कल्चर के लोग अमीर व्यापारी, सफल ब्यूरोक्रेट, गरीब लेबर या दुकानदार जरूर हैं, लेकिन उनकी भाषा एक है।