अदलात की अनुमति की जरुरत नहीं- लोक सेवा आयोग;
रांची। झारखंड लोक सेवा आयोग की सातवीं से दसवीं प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित रिजल्ट जल्द ही जारी किया जाएगा। जेपीएससी के संशोधित रिजल्ट में 1044 लोगों को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा 407 अभ्यर्थी पुरानी सूची से बाहर हो सकते है। मंगलवार को जेपीएससी की ओर से हाईकोर्ट को यह जानकारी देते हुए संशोधित रिजल्ट जारी करने की अनुमति मांगी गई। इस पर झारखंड़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने कहा, कि मामले में जेपीएससी ने पहले ही गलती स्वीकार की थी। कोर्ट ने कहा, कि गलती हो गयी तो उसे सुधारा जाना चाहिए और संशोधित रिजल्ट जारी किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा, कि इसके लिए अदलात की अनुमति की जरुरत नहीं है।
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बता दें कि जेपीएससी ने पूर्व में जारी प्रारंभिक रिजल्ट में आरक्षण दिया था। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। इस पर अदालत ने जेपीएससी और सरकार से आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। यह बताने को कहा था कि प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण का लाभ दिया गया है या नहीं। अदालत में पूछा गया कि सातवीं जेपीएससी में कोटिवार कितनी सीटें थी। आरक्षित श्रेणी के कितने और सामन्य श्रेणी के कितने अभ्यर्थी चयनित हुए हैं।
क्या है पूरा मामला?
जेपीसएससी के सातवीं से दसवीं तक के प्रारंभिक रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर कुमार संयम ने याचिका दाखिल की थी। याचिका मै कहा गया कि सातवीं जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण दिया गया है, जो गलत है। प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण देने की शर्त परीक्षा के लिए प्रकाशित विज्ञापन में नहीं थी। उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण दिए जाने का दावा करते हुए कहा कि सामान्य श्रेणी की 114 सीटें थीं। नियमानुसार 15 गुना परिणाम जारी होने चाहिए।
ऐसे में सामान्य श्रेणी के 1710 अभ्यर्थियों का चयन होना चाहिए। लेकिन सिर्फ 768 उम्मीदवारों का ही चयन किया गया। प्रार्थी ने अपनी याचिका में वर्ष 2012 के हाईकोर्ट के खंडपीठ के कई आदेशों का हवाला भी दिया था। प्रार्थी ने कहा था कि गुलाम सादिक के मामले में 16 जून 2021 को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि झारखंड सरकार के अनुसार जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण देने की कोई नीति है।