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उत्तराखंड में फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स की वेतन कटौती दुर्भाग्यपूर्ण

 डा. महेंद्र राणा
भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के निर्वाचित बोर्ड सदस्य डा. महेन्द्र राणा ने उत्तराखंड सरकार द्वारा फ्रंट लाइन कोरोना योद्धाओं के एक दिन की वेतन कटौती को बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण फैसला बताते हुए कहा कि आयुष चिकित्सकों की मांगों पर सरकार द्वारा ध्यान न दिए जाने से आयुष चिकित्सकों में आक्रोश है। सरकार एवं शासन को पत्र लिखे हुए एक माह से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक सरकार द्वारा आयुष चिकित्सकों की मांगों पर कोई भी सकारात्मक कार्यवाही नहीं की गयी है।

राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखंड (पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ० डी० सी० पसबोला द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया है कि जहां एलोपैथिक चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की मांगों​ पर मुख्यमंत्री​ त्रिवेंन्द्र सिंह रावत एवं सचिव वित्त, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित नेगी द्वारा उनकी सभी मांगों पर तत्काल सकारात्मक आश्वासन दिया गया है ,वहीं आयुष चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की इन्हीं मांगों को पूरा करने में उत्तराखंड सरकार ध्यान नहीं दे रही है। आयुष प्रदेश में आयुष चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की घोर उपेक्षा की जा रही है और उनके साथ भेदभाव​पूर्ण एवं सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, यही वजह है कि उनकी एक दिन की वेतन कटौती वापिस लेने, एक माह के वेतन के बराबर प्रोत्साहन भत्ता देने तथा डीएसीपी जैसी मांगों पर सकारात्मक कार्यवाही करने में हीलाहवाली की जा रही है, जो कि चिकित्सकों के मनोबल को गिराने वाली बात है।

डा. महेन्द्र राणा ने उत्तराखंड सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार द्वारा आयुष चिकित्सकों की मांगों पर शीघ्र ही सकारात्मक आश्वासन नहीं दिया गया तो आयुष चिकित्सकों को कोरोना काल में भी कार्य बहिष्कार एवं आन्दोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ सकता​ है, जिसकी जिम्मेदारी स्वयं सरकार की होगी। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा आयुष चिकित्सकों के साथ हो रहे भेदभाव की कड़ी निंदा करते हुए डा.राणा ने कहा कि प्रदेश में इस कोरोना महामारी के दौरान आयुष चिकित्सकों ने कोरेंटीन केंद्रों से लेकर कोरोना सैंपल जांच तक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है उसके बावजूद भी प्रदेश सरकार का यह रवैया निराशाजनक है ।