संस्कृत निदेशालय के सहयोग से आयोजित हुआ ग्रोथ ह्यूमन फाउंडेशन द्वारा नाट्य

प्रथक नाटक वतन
नागपाल (Growth Human Foundation) के लेखन एवं निर्देशन में तैयार किया गया नाटक वतन ग्राम दलेलपुर पोस्ट बहुती कला संडीला हरदोई में मंचित किया गया नाटक की शुरुआत एक ग्रामीण किसान के परिवार से होती है जिसके बेटे के सपने में देशभक्त (स्वतंत्रता सेनानी) व मेजर जयसिंह आते हैं एक दिन वह बच्चा अपनी मां से फौज में जाने की जिद ठान लेता है और बड़ा होकर कठिन परिश्रम के बाद (Growth Human Foundation) वह फौज में सलेक्ट हो जाता है फिर अपनी मां से मिलने घर आता है और घर पहुंचते ही उच्च अधिकारी का फोन आ जाता है फिर वापस अपने वतन की रखवाली के लिए चला जाता है इसके बाद वह फौजी तिरंगे में लिपट कर वापस आता है
नाटक – अजय, लालाराम,मोहित,अर्पित,उपासना,हिसता,कमल किशोर,आदित्य आदि ने निभाए किरदार
दूसरा नाटक
अफवाहों से बचने का संदेश दे गया नाटक नीली चढ्ढी
डॉ राकेश ऋषभ द्वारा लिखित एवं नागपाल द्वारा निर्देशित नाटक नीली चढ्ढी,यह नाटक हास्य एवं व्यंग है, देश में अंधविश्वास बढ़ता ही जा रहा है कभी आदमी पत्थर बन जाते हैं,तो कभी पत्थर दूध पीने लगते हैं,कभी नमक ही बंद हो जाता है आदि नाना प्रकार के अंधविश्वास देश में समय समय पर फैलते रहे हैं और सबसे ज्यादा अंधभक्त अपनी समस्या का इलाज कराने के लिए बाबाओं के पास पहुंच जाते हैं ना कि इलाज के लिए डॉक्टर के पास नाटक की शुरुआत नोखे लाल नाम के व्यक्ति से होती है अनोखेलाल को अपने देश का भारत नाम है इतना ही पता होता है
बाकी कुछ नहीं नोखेलाल अनपढ़ व्यक्ति है चंपत राम नाम का दुकानदार इंडिया की चढ्ढी बताकर कहता है कि इसे पहनकर लोग अमीर हो जाते हैं 10000,10000 की दो चढ्ढिया बेच देता है और नोखेलाल उस चढ्ढी को अपने घर ले आता है नोखेलाल को अपनी पत्नी से बात करते हुए एक चोर सुन लेता है और वह चढ्ढी अगले दिन चोरी हो जाती हैं नोखेलाल इसकी रिपोर्ट लिखाने थाने जाता है जहां पर पुलिस उसे मजाक समझती है फिर नोखेलाल की पूरी बात सुनती है तब तक नीली चढ्ढी के चर्चे चारों तरफ फैल जाते हैं पत्रकार थाने जाकर सवाल जवाब करने लगते हैं
विधायक को पता चलता है कि नीली चढ्ढी पहन कर लोग अमीर हो जाते हैं तो वह इस्पेक्टर को आदेश दे देते हैं कि जल्द से जल्द वह नीली चढ्ढी ढूंढ कर मुझे दे दे नीली चढ्ढी कि यही तक बात खत्म नहीं होती है बात अदालत तक पहुंच जाती है एक सीधा साधा आम नागरिक अमीर होने के लालच में ठग लिया जाता है और अंधविश्वास एवं चमत्कार के चक्कर में विधायक व जज भी फस जाते हैं और जज साहब यह कह कर के अपने पास नीली चढ्ढी को रख लेते हैं कि मैं इसकी सत्यता का पता लगाऊन्गा यह नाटक अफवाहों पर ध्यान न देने और शिक्षित होने का संदेश देता है नाटक में मोहित यादव, देवेंद्र सिंह, कोलंबस कुमार, देवेश, अंकित कुमार जाटव,विक्रम सिंह,अनुज कुमार जाटव, अनन्या ठाकुर, आदि ने अपना किरदार बाखूबी निभाया
साथ ही देशभक्ति गीतों की अंकित एवं अनुज ने की कोरियोग्राफी
तीसरा नाटक-
दहेज कुप्रथा
कहानी की शुरुआत राम भरोसे नाम के एक ग्रामीण परिवार से शुरू होती है राम भरोसे के बेटे की शादी पास के गांव से कल्लू राम की बेटी से हो जाती है कुछ दिनों के बाद दहेज की मांग चलते आपसी तालमेल नहीं बैठते हैं तो बहू को मायके भेज देते हैं
छुपकर दूसरी बहू को दहेज के लालच में ले आते हैं दूसरी बहू पूरे परिवार को परेशान करती है घर का कोई कामकाज नहीं करती है जब पहले वाली बहू को पता चलता है तो काफी दुखी होती है और फ़िर पंचायत में फैसला होता है जिसके कारण दूसरी वाली बहू को वापस जाना पड़ता है और पहले वाले बहू को राम भरोसे अपने घर ले आते हैं और अपनी गलती पर पश्चाताप करते हैं