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(ISI c)
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ISI (ISI c)ने बदला घुसपैठ का प्लान

नई दिल्ली. कश्मीर में सेना और सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन ऑल आउट के तहत पाकिस्तानी आतंकी तंजीमोंकी कमर तोड़ कर रख दी है. इससे ट्रेंड आतंकवादियों में कश्मीर में बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दे पाने की बौखलाहट साफ झलक रही है. वह छोटे हथियारों से की टारगेट किलिंग जैसे हमले कर अपनी खीज मिटा रहे हैं. जिहाजा अब ISI (ISI c) ने एक ऐसा प्लान आतंकियों को सौंपा है जिसे ​वह खुद मॉनिटर भी कर रहा है. ये प्लान है आतंकियों की शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग का. इसी के तहत अब कई नए अस्थायी ट्रेनिंग सेंटर की जानकारी खुफिया एजेंसियों को मिली है जो कि हाल ही में पीओके में एलओसी के पास बनाए गए हैं.
के ये पीओके में हिजबुल मुजाहिद्दीन के नए ट्रेनिंग सेंटर की जानकारी मिली है. ये पीओके में हिजबुल मुजाहिद्दीन के नए ट्रेनिंग सेंटर की जानकारी मिली है. ये पीओके में हिजबुल मुजाहिद्दीन के नए ट्रेनिंग सेंटर की जानकारी मिली है. ये पीओके में हिजबुल मुजाहिद्दीन के नए ट्रेनिंग सेंटर की जानकारी मिली है. ये पीओके में हिजबुल मुजाहिद्दीन के नए ट्रेनिंग सेंटर की जानकारी मिली है. ये पीओके के सोलनवाली गांव में बनाया गया है. ये अस्थायी सेंटर है यानी कि कभी भी इसे बंद कर किसी दूसरी जगह शिफ़्ट किया जा सकता है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इस ट्रेनिंग सेंटर में 18 से 20 आतंकियों के रहने और ट्रेनिंग का इंतजाम किया गया है. इस ट्रेनिंग कैंप की जिम्मेदारी हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी मुनीद भाई को सौंपी गई है. मुनीद कैंप का कमॉडर भी है.

पाक फौज की मदद से तैयार हो रही आतंकियों की खेप
इसके अलवा तीन अन्य आंतिकी भी नए रिक्रूटों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक ISI के अधिकारियों की निगरानी में डेढ महीने के शॉर्ट कोर्स को अप्रैल के पहले हफ्ते में शुरू किया गया था, जिसमें 12 से 13 नए आतंकियों को फायरिंग, छोटे हथियारों और ग्रेनेड को इस्तेमाल करने के लिए ट्रेनिंग दी गई. इसमें जंगल वॉरफेयर यानी घुसपैठ के साथ साथ भारतीय सेना से बचने, जंगल की बाधाए जैसे नदी, नाले और फेंसिंग को पार करने के लिए खुद ISI ने पाक फौज की मदद से ट्रेनिंग दिलाई है.

ट्रेनिंग के बाद आतंकवादियों को LOC पार कराने का प्लान
रिपोर्ट के मुताबिक़ फायरिंग प्रैक्टिस पीओके के डोंगी/ बराली के आंतिकी ट्रेनिंग कैंप में कराई गई. इस दौरान हिजबुल मुजाहिद्दीन के डिप्टी सुप्रीम कमांडर ने कोटली में लॉंचिंग पैड और सोलनवाली ट्रेनिंग सेंटर का भी दौरा किया था. ट्रेनिंग के बाद इन आतंकियों को किसी भी हाल में LOC पार कराने की तैयारी ​है.

ट्रेनिंग नहीं तो AK-47 भी नहीं
कश्मीर में हाशिये पर पहुंचाए जा चुके आतंकियों के पास हथियारों की कमी है और हर किसी को AK देने के नाम पर तंजीम में शामिल करना भी हिजबुल के बस से बाहर हो रहा है. अब तक तो घाटी में युवाओं का ब्रेनवॉश करने और उस इलाके में दबदबा दिखाने के लिए AK-47 का लालच दिया जाता था. पाकिस्तान इस समय कंगाली की कगार पर है और वह आतंकियों को AK-47 जैसे हथियार मुहैया नहीं करा पा रहा. ISI ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और अब उन्हीं आतंकियों को AK राइफल दी जा रही है जिन्हें ट्रेनिंग दी गई है.
शार्ट टर्म ट्रेनिंग की क्या है वजह?
90 के दशक में जब आतंकवाद चरम पर था तो कश्मीर से युवाओं को बहला फुसला कर पीओके ले जाया जाता था और फिर उन्हें ट्रेनिंग देकर कश्मीर में आतंकी वारदातों को अंजाम दिया जाता था. अब भारतीय सेना का सिक्योरिटी ग्रिड इतना मजबूत है कि कश्मीर से पीओके ले जाना अब संभव नहीं है. लिहाजा कश्मीर के युवाओं को घाटी में ही हथियार चलाना और ग्रेनेड फेंकना सिखाया जाने लगा. अब यह भी संभव नहीं है, क्योंकि पाकिस्तानी तंजीमों कि बहलावे में युवा भी नहीं आ रहे.
फिदायीन आतंकियों को अलग दी जाती है ट्रेनिंग
हिजबुल अब बिना ट्रेनिंग के आतंकियों को कश्मीर भेजने का रिस्क नहीं लेना चाहता इसी वजह से उसने पीओके से भर्ती करनी शुरू कर दी है और ट्रेनिंग का टाइम भी तीन महीने से डेढ़ महीने कर दिया है. ट्रेनिंग भी दो तरह की होती है. जिन आतंकियों को फिदायीन बना कर भेजना होता है उनकी ट्रेनिंग अलग होती है और यानी कि वो वापस न लौटने के लिए भेजे जाते हैं. फिदायीन हमले के एक्स्पलोसिव को ऑपरेट करना, ऑप्सटिकल क्रॉसिंग, फायरिंग और लंबे समय तक बिना खाए पीये रहकर जंगल वॉरफेयर में माहिर किया जाता है. ट्रेनिंग खुद पाकिस्तानी सेना और SSG कमॉडों देते हैं. जो आतंकी फ़िदायीन नहीं होते उन्हें अलग से ट्रेनिंग दी जाती है.