नई दिल्ली. भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में आर्थिक संकट देखा जा रहा है. यहां अप्रैल 2022 से आयात के प्रतिबंध समेत कई उपाय किए गए हैं, लेकिन देश की हालत सुधर नहीं पा रही है. बांग्लादेश में ईंधन और रसोई गैस की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और इसका सीधा असर उद्योग धंधों पर पड़ रहा है. () नकदी के संकट के कारण बांग्लादेश में महंगाई आसमान पर है. बांग्लादेश में जनता लगातार सरकार से राहत की मांग कर रही है. बांग्लादेश (Bangladesh) की खस्ता हाल स्थिति और भी चिंताजनक हो रही है, क्योंकि पर्याप्त मुद्रा भंडार न होने के कारण उसे लेटर ऑफ क्रेडिट भी जारी नहीं हो पा रहा है.
बांग्लादेश की तंगहाली को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि विदेशी मुद्रा संकट के कारण देश मुसीबत में फंस गया है, तो वहीं अवैध लेन-देन के कारण आर्थिक मोर्चा चौपट हो रहा है. कई व्यापारिक बैंकों ने भी बांग्लादेश से अपना लेनदेन रोक लिया है. बांग्लादेश में विदेशी मुद्रा की कमी को लेकर भी तमाम राय सामने आई हैं. बांग्लादेश बैंक के पूर्व गवर्नर सालेह उद्दीन अहमद ने सरकार पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि सरकार को समय रहते सही कदम उठाने चाहिए. सरकार अगर ओवर-इनवॉइसिंग की जांच कराए तो संकट पर नियंत्रण पाया जा सकता है.
इंटरनेशनल मोनेटरी फंड ने दी मदद, बांग्लादेश को मिली कुछ राहत
इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (IMF ) ने बांग्लादेश के लिए 4.7 अरब डॉलर के समर्थन लोन पर साइन कर दिए हैं. इससे बांग्लादेश को बड़ी राहत मिलेगी. इससे ईंधन और खाद्य लागत की बढ़ती कीमतों में कुछ कमी जरूर आएगी. इस लोन से विदेशी मुद्रा संकट भी काफी हद तक कम होगा. बांग्लादेश में विदेशी मुद्रा भंडार 46 अरब डॉलर से गिर कर करीब 34 अरब डॉलर तक जा पहुंचा था. अब IMF का लोन मिल जाने का सीधा असर आम नागरिकों पर देखने को मिलेगा. दरअसल, रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण बांग्लादेश की इकोनॉमी पर बुरा असर पड़ा और यहां पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें आसमान पर जा पहुंची हैं.