50 प्रतिशत कर्मचारी क्षमता के साथ खुलेंगे दफ्तर
नई दिल्ली। दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार ने वीकेंड कर्फ्यू हटाने समेत कई तरह के अन्य प्रतिबंधों को हटाने का प्रस्ताव उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास भेजा था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया है। हालांकि, निजी दफ्तरों में 50 प्रतिशत कर्मचारी काम कर सकेंगे, दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को उपराज्यपाल ने मान लिया है।
ऐसे में सोमवार से दिल्ली के सरकारी और निजी दफ्तर 50 प्रतिशत कर्मचारी क्षमता के साथ खुलेंगे। दिल्ली सरकार ने अपने प्रस्ताव में सभी बाजारों को खोलने का भी प्रस्ताव दिया था, लेकिन उपराज्यपाल ने इसकी अनुमति नहीं दी है। कहा गया है कि वीकेंड कर्फ्यू और बाजारों को खोलने के संबंध में यथास्थिति बनाए रखी जाए और कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति में और सुधार होने पर इस विषय पर निर्णय लिया जाए।
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संक्रमण दर भी घटकर 22-24 कर्मचारी क्षमता पर आ गई है। इसलिए ऐसा लग रहा है कि दिल्ली में कोरोना के संक्रमण का चरम खत्म हो गया है और मामले कम हो रहे हैं। थोड़े दिन में संक्रमण दर और कम होने की संभावना है। उन्होंने कम जांच होने के मामले पर कहा कि जनसंख्या के अनुपात में दिल्ली में सबसे अधिक जांच हो रही है। अस्पतालों व डिस्पेंसरियों में जांच के लिए पहुंचने वाले हर व्यक्ति की जांच की जा रही है।
गौरतलब है कि दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार ने वीकेंड कर्फ्यू हटाने, बाजारों को नियमित तौर पर खोलने के साथ छूट के इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, लेकिन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने शुक्रवार को इसको ठुकरा दिया। कुल मिलाकर अभी दिल्ली में तमाम तरह के प्रतिबंध जारी रहेंगे। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले भी कई बार कह चुके हैं कि कोरोना के मामले कम हुई तो प्रतिबंधों में छूट का ऐलान किया जा सकता है।
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वहीं, शुक्रवार को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा था कि दिल्ली में कोरोना के मामले एक सप्ताह से कम हो रहे हैं। इस दौरान अब तक 50 फीसद मामले कम हो गए हैं। इसलिए कोरोना के मामले चरम पर पहुंचने के बाद घटकर आधे रह गए हैं, लेकिन खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है, इसलिए कोरोना की रोकथाम के लिए लगाई गई पाबंदियों में राहत के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कोरोना के मामले 28 हजार से अधिक व संक्रमण दर 30 फीसद से अधिक पहुंच गई थी। इसकी तुलना में मामले अब आधे रह गए हैं।
किसी को जांच से मना नहीं किया जाता। जब कोरोना के मामले बढ़ रहे थे, तब अधिक संख्या में लोग बीमार हो रहे थे। इसलिए अधिक लोग जांच कराने पहुंच रहे थे। अब लोग बीमार कम हो रहे हैं। इसलिए कम संख्या में लोग जांच कराने के लिए पहुंच रहे हैं। इस वजह से जांच कुछ कम हुई है।
उन्होंने कहा कि तीसरी लहर से पहले एक समय कोरोना के मामले 50 से कम हो गए थे। जबकि अभी संक्रमण दर अभी 20 प्रतिशत से अधिक है और मामले भी 12 हजार से 13 हजार आ रहे हैं। इसलिए अभी सतर्क रहना जरूरी है।