हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग की याचिका ख़ारिज की ,जजों की मौखिक टिप्पड़ी को कवरेज से मिडिया पर लगे रोक

चेन्नई :मद्रास हाई कोर्ट ने शुक्रवार को चुनाव आयोग की उस अपील को स्वीकार नहीं किया जिसमें कहा गया था कि कोर्ट में जजों की ओर से की जाने वाली मौखिक टिप्पणियों की रिपोर्टिंग से मीडिया को रोका जाए। तमिलनाडु और पुडुचेरी में कोरोना की दूसरी लहर को लेकर तैयारी के स्वत: संज्ञान केस की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस सेंथिलकुमार रामामूर्ति ने टिप्पणियां की थीं।
चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए राकेश द्विवेदी ने 2 मई को मतगणना के दिन कोरोना प्रॉटोकॉल्स को सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने 26 अप्रैल को कोर्ट की ओर से की गई टिप्पणियों के न्यूज कवरेज का मुद्दा उठाया, जिसमें कोर्ट ने दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि राजनीतिक रैलियों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं कराया गया। कोर्ट ने यह भी कहा था कि चुनाव आयोग के अधिकारियों पर मर्डर का केस दर्ज होना चाहिए।
अगले दिन अपने फैसले में कोर्ट ने चुनाव आयोग की आलोचना को लेकर रुख में कुछ नरमी दिखाई और टिप्पणियों को इसमें शामिल नहीं किया। यह तमिलनाडु के परिवहन मंत्री एमआर विजयभास्कर की ओर से दायर केस से संबंधित था जिसमें उन्होंने 2 मई को सुरक्षित और निष्पक्ष काउंटिंग की मांग की थी, क्योंकि उनके क्षेत्र करूर में 77 कैंडिडेंट हैं। चुनाव आयोग की ओर से उठाए गए कदमों को देखते हुए कोर्ट ने इस याचिका को खत्म कर दिया और स्वत: संज्ञान केस की सुनवाई जारी रहेगी।
एक शपथपत्र में चुनाव आयोग ने कहा कि इस बयान से चुनाव आयोग को हानि हुई और इन बयानों के आधार पर आयोग के किलाफ पुलिस में शिकायतें दर्ज कराई जा रही हैं। आयोग ने कोर्ट से अपील की कि मीडिया हाउसेज को जजों की ओर से की जाने वाली मौखिक टिप्पणियों की रिपोर्टिंग से रोका जाए। पीठ ने हालांकि कहा कि, “अदालतें हैं और इस तरह के तुच्छ मामलों से निपटा जाएगा।”