राष्ट्रीय

यनआरसी से सम्बंधित दोबारा संसोधन के लिए आसाम के अधिकारी पहुंचे सुप्रीमकोर्ट

नई दिल्ली. नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स यानि NRC से जुड़ा एक मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. असम राज्य के एनआरसी समन्वयक हितेश शर्मा ने अदालत से ‘पूर्ण, समग्र और समयबद्ध तरीके से दोबारा सत्यापन’ कराए जाने के आदेश जारी करने की मांग की है. उन्होंने अपने दावे में एनआरसी में कई गलतियां होने का दावा किया है. साथ ही शर्मा ने दोबारा सत्यापन की निगरानी के लिए एक समिति गठित करने की मांग की है.
दिए अपने आवेदन में शर्मा ने बताया है कि सूची में कई ‘गंभीर, बुनियादी खामियां हैं.’ जिसकी वजह से सूची में वे लोग भी शामिल हो गए हैं, जो पात्र नहीं हैं. आवेदन के अनुसार, मौजूदा ड्राफ्ट और पूरक सूची त्रुटियों से मुक्त नहीं है. ‘ऐसे में एनआरसी के ड्राफ्ट पर एक व्यापक और समयबद्ध दोबारा सत्यापन का आदेश देकर फिर से विचार करने की आवश्यकता है.’

इसके अलावा उन्होंने संबंधित जिलों में दोबारा सत्यापन कार्य की निगरानी के लिए एक कमेटी गठित करने की अपील की. उन्होंने मांग की है कि इस समति में संबंधित जिला जज, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक जैसे लोग शामिल किए जाने चाहिए. सीधे सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में साल 2019 में प्रकाशित एनआरसी में 3.3 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख लोगों को बाहर रखा गया था.

खास बात है कि एनआरसी अधिकारियों ने अभी तक रिजेक्शन ऑर्डर जारी नहीं किए हैं, जिसके तहत बाहर किए गए लोग राज्य के फॉरेनर्स ट्रिब्युनल यानि FT में अपील कर सकती है. इसके बाद FT तय करेगी कि निकाले जाने के खिलाफ आवेदन करने वाला व्यक्ति विदेशी है या भारतीय नागरिक है. इसके चलते 19 लाख से ज्यादा लोगों की नागरिकता अधर में है.

इस हफ्ते राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने भी कहा था कि सीमावर्ती जिलों में ‘हम शामिल किए गए 20 फीसदी लोगों के नाम की जांच चाहते हैं. जबकि, अन्य राज्यों में यह आंकड़ा 10 प्रतिशत है.’ हाल ही में असम में दोबारा सत्ता हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भी इस सूची में सुधार का वादा किया था.

 

 

Show More

यह भी जरुर पढ़ें !

Back to top button