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अंदरुनी कलह ने कई राज्यों में बिगड़ी कांग्रेस की सियासी गणित

नई दिल्ली:विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पंजाब में अंदरुनी कलह थामने में काफी हद तक सफल रही है, पर पार्टी की मुश्किलें खत्म नहीं हुई हैं। पार्टी को अगले कई वर्षो तक हर राज्य में चुनाव से पहले अंदरुनी कलह से जूझना पड़ सकता है। क्योंकि, ज्यादातर राज्यों में गुटबाजी चरम पर है। ऐसे में चुनाव से पहले पार्टी को घर दुरुस्त करना ही होगा।

वर्ष 2024 से पहले करीब 14 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें सात राज्यों में कांग्रेस का सीधा मुकाबला भाजपा से है। उत्तराखंड में कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने है। उत्तराखंड में पार्टी ने सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश की है, पर जमीनी स्तर पर यह कवायद कितनी कामयाब होगी, यह चुनाव परिणाम ही तय करेंगे।

इसके बाद गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद पार्टी में नए चेहरे पर सहमति बनाना आसान नहीं होगा। वहीं, गुजरात में भी सबकुछ ठीक नहीं है। वर्ष 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए भाजपा को कड़ी चुनौती दी थी। भाजपा बामुश्किल बहुमत का आंकड़े तक पहुंची थी।

गुजरात कांग्रेस में खेमेबाजी तेज है। पार्टी के कई विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं। पाटीदार आंदोलन से निकले हार्दिक पटेल भी बहुत खुश नहीं है। हालांकि, वह अपनी नाराजगी की खबरों को बेबुनियाद बता रहे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व ने कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उन पर जो भरोसा जताया है, वह उस पर खरा उतरेंगे।

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कनार्टक में प्रदेश अध्यक्ष डी. शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच भी टकराव बढ रहा है। दोनों एक-दूसरे पर दबाव बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान भी ऐसे राज्य है, जहां पार्टी को भाजपा से पहले खुद से जुझना प़ड़ सकता है। मध्य प्रदेश कांग्रेस में भी सब कुछ ठीक नहीं है। वहां अभी भी कई झगड़े हैं। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टी.एस. सिंहदेव के बीच टकराव बरकरार है।